पटना : करीब 24 साल पहले बिहार का बंटवारा हुआ था। बिहार से अलग होकर झारखण्ड नया राज्य बना। तब बिहार में लालू प्रसाद का राज पथ था। लालू यादव बिहार के बॅटवारे के खिलाप थे लेकिन राजनीति के चक्रव्यूह में लालू की रणनीति फ्लॉप हो गयी थी। बीजेपी के बिहार के बंटबारे की रणनीति में तब कांग्रेस ने सपोर्ट कर दिया, इसी के बाद झारखण्ड राज्य बना। अब एक बार फिर से बिहार को बाँटने की चर्चा तेज है। उत्तर बिहार में कोशी क्षेत्र में मिथिलांचल राज्य बनाने को लेकर अब लालू प्रसाद ही नहीं अन्य नेता डिमांड करने लगे हैं। बिहार में अभी नीतीश कुमार और बीजेपी की संयुक्त सरकार है। बीजेपी बंटबारे के खिलाप है।
लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी ने मैथिली भाषी लोगों के लिए मिथिलांचल राज्य की मांग उठाई है। यानि लालू भी बिहार के एक और बंटवारे के पक्ष में हैं ।
बीते दिनों शीतकालीन सत्र के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने काफी वर्षों बाद एक बार फिर मैथिली भाषी लोगों के लिए अलग मिथिलांचल की मांग कर भाजपा को सतर्क कर दिया है। राबड़ी देवी का तर्क है है कि भी काफी सुगठित कि ‘बिहार की एक तिहाई आबादी मैथिली बोलती है। इसलिए मिथिलांचल के विकास के लिए जरूरी है कि इसे अलग राज्य का दर्जा मिले। हालांकि यह कोई नया मसला नहीं। बिहार की धरती मिथिलांचल की मांगपहले से चल रही है। है। विभिन्न संगठनों के द्वारा बिहार से लेकर दिल्ली तक धरना ,प्रदर्शन भी देखने को आया है । बिहार विधानपरिषद में नेता प्रतिपक्ष राबड़ी देवी 2018 में भी ये मांग चुकी हैं।
आपको जानकारी दें कि पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी की यह मांग इस लिए चर्चा में है कि कभी उनके पति पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव बिहार के बंटवारे के एकदम खिलाफ थे। लालू प्रसाद ने सदन में साफ साफ कहा था कि ‘बिहार-झारखंड का बंटवारा मेरी लाश पर होगा।’ यह समय था वर्ष 2000 का था। तब अगस्त 2000 को लोकसभा में गहमा-गहमी थी। तब के गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी बिहार पुनर्गठन विधेयक पेश करने वाले थे। इसके जरिए बिहार से अलग झारखंड राज्य बनाया जाना था। लालू यादव लगातार इसका विरोध कर रहे थे। तब इस चाल में कांग्रेस एक कदम आगे चल पड़ी। हुआ यह है कि झारखंड राज्य के निर्माण को कांग्रेस ने सहमति दे दी। और यहीं लालू यादव की राजनीतिक बाजी उलट गई। राजद सुप्रीमो चाह कर भी कुछ कर नहीं सकते थे। दरअसल तब की राजनीतिक स्थिति यह थी कि राजद कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने की स्थिति में नहीं थी। दूसरी ओर बिहार में कांग्रेस के समर्थन से ही राबड़ी सरकार चल रही थी। ऐसा लग रहा है कि लालू अब बीजेपी को उसी की पुरानी चाल से मात देना चाहते हैं
