न्यूज डेस्क
चीन के जाल में फंस कर नेपाल वर्तमान में तिब्बत बनने की राह पर है. पीएम ओली को इसके लिए जिम्मेवार माना जा रहा है. ओली का हर फैसला भारत खिलाफ आ रहा है. भारत को घेरने में जुटा चीन अब नेपाल का इस्तेमाल कर रहा है. चीन के प्रभाव में आकर ओली – भारत विरोधी एजेंडे पर काम कर रहें हैं.
ओली के इस रणनीति से अब सत्तारूढ़ पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी में दरार पड़ गयी है. पार्टी के भीतर अब ओली को पीएम पद से हटाने का दबाब बढ़ गया है. पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रचंड भी चाहते हैं कि जल्द ओली पीएम से इस्तीफा दें, लेकिन ओली इसके लिए तैयार नहीं हैं. पिछले कई महीने से कई दौर की बातचीत के बाद भी अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है. प्रधानमंत्री ओली के विरोधी प्रचंड ने कहा है कि प्रधानमंत्री ओली अपने जिद पर अड़े हैं, पार्टी में टूट की आशंका अब बढ़ गयी है.
नेपाल की सियासत में कुछ दिन की शांति के बाद फिर घमासान शुरू हो गया है. केपी शर्मा ओली की इस्तीफे की मांग पर अड़े मुख्य विरोधी पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड ने कहा है कि सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में टूट का खतरा बढ़ रहा है. प्रचंड के मुताबिक, ओली इस जिद पर अड़े हुए हैं कि वे पार्टी अध्यक्ष और प्रधानमंत्री पद में से किसी पद से इस्तीफा नहीं देंगे. यही विवाद की सबसे बड़ी जड़ है. प्रचंड के बयान से साफ हो जाता है कि दोनों नेता अलग राह पर चल रहे हैं. यही वजह है कि पार्टी में फूट का खतरा अब दिखने लगा है.
पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड ने ओली पर गंभीर आरोप लगाया है. प्रचंड ने कहा है कि एक तरफ तो प्रधानमंत्री सबको साथ लेकर चलने की बात करते हैं, दूसरी तरफ वो अलग पार्टी बनाने की तैयारी कर रहे हैं. हम इसे कामयाब नहीं होने देंगे. ओली ने कुछ लोगों को साथ लेकर सीपीएन- यूएमएल नाम से नेशनल इलेक्शन कमीशन में एक नई पार्टी रजिस्टर करा ली है.
प्रचंड ने आगे कहा सत्ता में बने रहने के लिए ओली गलत तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं. इससे सिर्फ पार्टी नहीं बल्कि देश का भी काफी नुकसान हो रहा है. देश के विकास के लिए राजनीतिक स्थिरता सबसे जरूरी है. हमें लोगों के भरोसे को कायम रखना होगा.