दिल्ली: डॉ निशा सिंह
दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार और केंद्र सरकार एक बार फिर आमने सामने नजर आ रही है. इस बार टकराव का कारण बन रहा है. आज सोमवार को लोकसभा में पेश किया गया राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र संशोधन विधेयक. इस विधेयक में उपराज्यपाल की भूमिका को मजबूत करने की बात कही गई है और दिल्ली सरकार को कोई भी फैसला लेने से पहले उपराज्यपाल की मंजूरी लेनी होगी.
अधिकारों को लेकर दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार एक बार फिर केंद्र सरकार के सामने टकराव में दिखाई दे रही है. केंद्रीय गृहराज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने आज लोकसभा में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र संशोधन विधेयक पेश किया. केंद्रीय मंत्रिमंडल से पारित इस विधेयक के कानून बनने के बाद उपराज्यपाल की शक्तियों में काफी इजाफा हो जाएगा. दिल्ली की आम आदमी पार्टी का आरोप है कि इस विधेयक के कानून बनने के बाद दिल्ली में सरकार का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। क्योंकि विधेयक में कहा गया है कि सरकार का मतलब उपराज्यपाल होगा और हर काम के लिए दिल्ली सरकार को पहले उपराज्यपाल की मंजूरी लेनी होगी.
इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच पहले भी काफी टकराव हो चुका है, जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था. सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बैंच ने 4 जुलाई 2018 को और दो सदस्यीय खंडपीठ ने फैसला सुनाया था. कोर्ट ने उस समय उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के अधिकारों को परिभाषित किया था. इन फैसलों के बाद लगा था कि मामला सुलझ गया है, लेकिन अब इस विधेयक के संसद में आने के बाद मामला और ज्यादा गर्माता हुआ दिखाई दे रहा है. हालांकि बीजेपी का दावा है कि दिल्ली केंद्र शाषित प्रदेश है और कार्य सरलता के साथ हों, इसी नीयत के साथ ये विधेयक लाया गया है. बहरहाल अब इस विधेयक को लेकर दिल्ली सरकार आक्रामक रुख अपना रही है. पार्टी का साफ कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसलों में साफ कहा था कि चुनी हुई सरकार के पास पूरे अधिकार होंगे. लेकिन इस विधेयक के बाद सरकार से उसके अधिकार छीनने की कोशिश हो रही है.
केन्द्रीय कैबिनेट पहले ही ने दिल्ली के उपराज्यपाल को अधिक अधिकार देने वाले बिल को मंजूरी दे दी थी
पिछले फरवरी महीने में केन्द्रीय कैबिनेट ने दिल्ली के उपराज्यपाल को अधिक अधिकार देने वाले बिल को मंजूरी दे दी थी. गवर्नमेंट ऑफ़ एनसीटी दिल्ली एक्ट में कुछ संशोधन कर दिल्ली की निर्वाचित सरकार को तय समय में ही एलजी के पास विधायी और प्रशासनिक प्रस्ताव भेजने का प्रावधान भी है. यह बिल इसी सत्र में पारित कराने के लिए सूचीबद्ध किया गया था.
बिल के मामले पर दिल्ली के उपमु्ख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली में चुनी हुई सरकार के अधिकार छीनकर LG को देने का काम किया गया है. दिल्ली सरकार के पास फैसले लेने की पावर नहीं होगी. गोपनीय तरीके से ये फैसला किया गया है. ये फैसला लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ किया गया. 3 मुद्दों को छोड़कर दिल्ली की चुनी सरकार सभी मसलों पर निर्णय ले सकती है. संवैधानिक अधिकारों के झगड़े में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 3 मुद्दों के अलावा दिल्ली की चुनी हुई सरकार को फैसले लेने का अधिकार है. LG का कोई रोल नहीं होगा, सिर्फ जानकारी LG को भेजी जाएगी, लेकिन केंद्र की BJP सरकार ने सभी बातों को दरकिनार कर दिल्ली में चुनी सरकार के बावजूद LG के हाथ में पावर होगी. भाजपा पिछले दरवाजे से दिल्ली में शासन करना चाहती है. दिल्ली में भाजपा 3 चुनाव हार चुकी है.