शिवपूजन सिंह :
देश की कोयला राजधानी धनबाद में, जज उत्तम आनंद की सुबह-सुबह ऑटो से टक्कर के चलते जान चली गई. यह सड़क हादसा, धनबाद के सबसे व्यस्त चौक रंधीर वर्मा के पास घटी. जहां जिलाधिकारी, पुलिस प्रमुख कार्यालय और जिला कोर्ट भी पास में ही मौजूद है. हालांकि, सबसे सनसनीखेज बात ये रही कि ये हादसा था या फिर हत्या, ये सवाल बना हुआ है. दरअसल, जब सीसीटीवी फुटेज खंगाला गया, तो इसमें दूसरी ही कहानी नजर आई. फुटेज में साफ-साफ दिख रहा था कि ये हादसा नहीं, बल्कि जज साहब को जानबुझकर धक्का मारा गया है. मानो, उन्हें कुचलने की पहले से ही साजिश रची गई हो. इसलिए पुलिस ने धारा 302 के तहत हत्या का मामला दर्ज किया. इस मामले में जांच के लिए एसआईटी और फिर राज्य सरकार ने सीबीआआई जांच की अनुशंसा भी कर दी.
जज ने माफिया से जुड़े कई केस में फैसला दिया था
अब सवाल उठना लाजमी है, कि आखिर क्या वजह थी, कि धनबाद के जिला एवं सत्र न्यायाधीश के साथ ऐसा हुआ! खैर कुछ भी कहना अभी जल्दबादी होगी, क्योंकि पड़ताल के बाद ही दूध का दूध और पानी का पानी हो पायेगा. वैसे, जो बाते सामने आ रही है, वह गैंगस्टर से कनेक्शन की तरफ इशारे कर रहा है. धनबाद के चर्चित रंजय हत्याकांड की सुनवाई, न्यायाधीश उत्तम आनंद की अदालत में ही हो रही थी. रंजय का संबंध धनबाद के चर्चित और शहर के ताकतवर-रसूखदार परिवार माने जाने वाले सिंह मेंशन से था. रंजय की हत्या के बाद ही धनबाद नगर निगम के डिप्टी मेयर नीरज सिंह की भी सरेराह गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी. नीरज हत्या के मामले में झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह फिलहाल जेल में बंद है. सजीव और नीरज चचेरे भाई थे. मृतक नीरज सिंह की पत्नी पूर्णिमा सिंह वर्तमान में झारिया से कांग्रेस की विधायक हैं. आरोप है कि संजीव ने अपने भाई नीरज सिंह की हत्या में शूटर अमन सिंह का इस्तेमाल किया था. माफिया अमन सिंह भी रांची जेल में बंद है, जो यूपी का रहने वाला है. कहा जा रहा है कि अमन सिंह धनबाद में तेजी से अपना पैर जमाना चाहता है, और जेल से ही अपने गिरोह के जरिए सम्राज्य चला रहा है. जज उत्तम आनंद की मौत पर इसलिए भी सवालिया निशान लग रहे हैं, क्योंकि रंजय सिंह हत्याकांड के साथ-साथ नीरज सिंह के हत्या में आरोपी अमन सिंह गिरोह के दो शूटर को भी जज उत्तम आनंद ने जमानत देने से इंकार कर दिया था.
धनबाद में गहरा है गैंगस्टर और राजनीतिज्ञों का संबंध
कोयले की काली कमाई और वर्चस्व के चलते ही धनबाद की धरती खून से समय-समय पर लाल होती आई है. दरअसल, अभी सार्वजनिक कोयला कंपनी भारत कोकिंग कोल लिमिटेड के हालात इधर ठीक नहीं है. पूरी कंपनी आउसोर्सिंग के बल पर खड़ी है. यही आउटसोर्सिंग कंपनियां ही माफिया और सिसायत से संरक्षण पाए लोगों के लिए चारागाह बन गई है.
कहा जाता है कि कोयलांचल धनबाद में माफिया राज चलता है, जिसके खून के छींटे किसी न किसी पर पड़ते रहते हैं, जो कि इस धरती का रक्तचरित्र है. यहां कोयले के वर्चस्व के लिए अदावतें चलना कोई नई बात नहीं है. पहले भी यहां खून-खराबा होता था और आज भी इसकी आशंका बनीं रहती है.
माफियाओं की जिंदगी पर ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ फिल्म भी धनबाद के पास ही बनी है
70 के दशक में राष्ट्रीयकरण के पहले भी दबदबे की लड़ाई चल रही थी. बीपी सिन्हा, उमाकांत सिंह , सुरेश सिंह, संजय सिंह, प्रमोद सिंह, मनोहर सिंह, विधायक गुरदास चटर्जी, सुशांत सेनगुप्ता समेत कइयों ने इसी धनबाद की धरती पर अपनी जान गंवाई है. यहां का इतिहास रक्तरंजित रहा है, जहां कई जुर्म की दास्तान दफन है. धनबाद के पास ही वासेपुर स्थित है. इसी इलाके पर चर्चित फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ बनीं थी. फिल्म ने काफी चर्चाएं बटोरी थी. पूरी फिल्म माफियाओं की जिंदगी, उनका कारोबार, रहन-सहन और खून-खराबे के ईर्द-गिर्द घूमता हुआ दिखाई देता है. पहले के मुकाबले आज वासेपुर थोड़ा शांत दिखता है, लेकिन यहां अब भी गोली-बम-बारूद की गंध बरकरार है.
धनबाद में जज की रहस्यमयी मौत से कई तरह के सवाल उठ रहे हैं
झारखंड की औद्योगिक नगरी धनबाद में एक जज की रहस्यमयी मौत कई तरह के सवालों को जन्म दे रही है. झारखंड सरकार की तो अच्छी-खासी फजीहत करा डाली है. देश की सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने इस पर संज्ञान लिया है और सख्त जांच के निर्देश दिए हैं. देश भर में इसे लेकर चर्चाएं भी गर्म है और लोग यह जानना चाहते हैं कि ये सड़का हादसा था या फिर हत्या. अगर ये मर्डर साबित होता है, जिसकी अधिक संभावना है तो फिर यही कहा जाएगा कि पुलिस राज पर माफिया राज पूरी कदर हावी है और राज्य की हेमंत सोरेन सरकार केवल तमाशा देख रही है. सबसे अहम सवाल तो, ये उठेगा कि जब एक जज के जान की हिफाजत नहीं हो सकती, तो फिर राज्य में आम आदमी के जान-माल की क्या बिसात होगी ?
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