दिल्ली: डॉ. निशा सिंह
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज दिल्ली पहुंच रहे हैं. आज शाम में जदयू के कुछ चुनिंदा नेताओं से मुलाकात करेंगे. केंद्र में जदयू कोटे से आरसीपी सिंह के मंत्री बनने के बाद नीतीश कुमार दिल्ली में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और पीएम मोदी से भी मुलाकात कर सकते हैं. नीतीश कुमार का दो दिनों तक दिल्ली में रहने का कार्यक्रम है. कल वो जदयू के जंतर-मंतर स्थित कार्यालय में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शामिल होंगे. ये बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है कारण कि आरसीपी सिंह की जगह नए अध्यक्ष के नाम का एलान हो सकता है. इसके साथ ही अगले साल होने जा रहे पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव लड़ने को लेकर फैसले भी इस मीटिंग में तय होंगे. जातिगत जनगणना को लेकर भी चर्चा होगी. पार्टी के रणनीतिकार बताते हैं कि जदयू के विस्तार पर अभी काम चल रहा है. पार्टी उत्तरप्रदेश, उत्तरखंड, पंजाब , मणिपुर, गोवा में विधानसभा चुनाव में उतरने का संकेत दे चुकी है. इस बार ओम प्रकाश चौटाला से भी नीतीश कुमार मिल सकते हैं.
JDU में एक व्यक्ति एक पद सिद्धांत के आधार पर राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना जायेगा
पार्टी में इस बात की चर्चा है कि एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत के आधार पर आरसीपी सिंह जदयू का राष्ट्रीय पद छोड़ सकते हैं. सम्भावना है कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जदयू को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल जाए. इस पद के लिए पार्टी की ओर से तमाम नाम चर्चा में हैं. जदयू के नए अध्यक्ष के लिए बिहार के सियासी गलियारों में उपेंद्र कुशवाहा के अलावा ललन सिंह का नाम भी चर्चा में है. सबसे अधिक चर्चा उपेंद्र कुशवाहा की है. दूसरी तरफ ऐसी भी चर्चाएं हैं कि राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की बागडोर फिर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ही हाथों में दी जा सकती है. आरसीपी ने पहले ही कह दिया है कि वे पार्टी के कहने पर किसी भी वक्त अध्यक्ष का पद छोड़ने के लिए तैयार हैं. इसके साथ उन्होंने यह भी कहा है कि वे केंद्रीय मंत्री रह कर भी पार्टी संगठन के प्रति अपने दायित्वों का निर्वहन करने में सक्षम हैं.
मीटिंग में इन मुद्दों पर विचार किया जाएगा
जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में देश के मुद्दों पर पार्टी के संगठन पर भी विमर्श होगा. सदस्यता अभियान को गति दिए जाने और सदस्यता अभियान के रोडमैप पर चर्चा होगी. यह भी तय होगा कि निकट भविष्य में जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव है वहां पार्टी का क्या स्टैंड रहेगा. पार्टी खासकर पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ने की संभावना तलाश रही है. बिहार और केंद्र में अपनी सहयोगी पार्टी भाजपा से तालमेल के लिए जदयू ने पहले ही कोशिशें शुरू कर दी थीं. अगर तालमेल नहीं हो पाता है तो पार्टी अकेले चुनाव लड़ने की संभावना पर भी विचार करेगी.
JDU इन कमियों से जूझ रही है
आपको बता दें कि गोवा, मणिपुर, पंजाब और उत्तराखंड विधानसभाओं का कार्यकाल मार्च 2022 में समाप्त होगा. वहीं, उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) विधानसभा का कार्यकाल अगले साल मई तक चलेगा. इन प्रदेशों में जदयू अपनी उपस्थिति दर्ज करने के मूड में है. बंगाल चुनाव में जदयू ने अपना कैंडिडेट उतारा था, लेकिन पार्टी जीरो पर आउट हो गई. दरसअल बिहार से बाहर पार्टी को कोई बड़ा नेता नहीं मिला है जो राष्ट्रीय स्तर पर एक्टिव हैं. नीतीश कुमार को छोड़कर पार्टी का कोई भी नेता में दम नहीं दिखता है. सबसे बड़ी बात ये है कि दिल्ली में पार्टी को खड़ा करने वाले नेता ही नहीं है. दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष दयानन्द राय पूरी तरह व्यवसायी हैं जो पार्टी की विस्तार की बात तो दूर कार्यालय आते भी नहीं हैं.
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