दिल्ली जदयू में बबाल : दयानद राय की नयी टीम से नाराज पदाधिकारियों के इस्तीफा देने की होड़ लगी

दिल्ली : शिवपूजन सिंह

बिहार में नीतीश कुमार अपनी पार्टी जदयू को फिर से धार देने की कोशिश में जुटे हैं. विधान सभा चुनाव में कम सीटें आने से सकते में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लव-कुश समीकरण को मजबूत करने के लिए उपेंद्र कुशवाहा को फिर से जदयू में वापसी कराया है, लेकिन दिल्ली में पार्टी की हालत बेहद ख़राब है. पार्टी के विस्तार करने की जगह कथित बिज़नेसमेन ने पार्टी पर कब्ज़ा जमा लिया है, जिसके कारण पार्टी से जुड़े कार्यकर्ता लगातार पार्टी को बाय-बाय कर रहे हैं. दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष दयानन्द राय ने 30 लोगों की नयी टीम का एलान क्या किया, पार्टी में बबाल मच गया है. पुरानी टीम में काम करने वाले कार्यकर्ता को हटाकर चापलूस और छुटभैये को पदाधिकारी बना दिया गया, कुछ को जूनियर से सीनियर बना दिया गया और कोरोना व लॉक डाउन के दौरान किचेन चलाने वाले एजेंट को पदाधिकारी बनाया गया है. नतीजा इस्तीफा देने की होड़ मच गयी है. दिल्ली प्रदेश यूथ विंग अध्यक्ष अमल कुमार समेत अब तक दर्जनों पदाधिकारी इस्तीफा कर चुके हैं. आने वाले दिनों में और भी इस्तीफा कर सकते हैं.

आखिर दिल्ली में जदयू क्यों नहीं होती है मजबूत

दिल्ली में जदयू के मजबूत नहीं होना का मुख्य कारण जमीनी नेता का पदाधिकारी नहीं बनना है. अब तक जो अध्यक्ष बने वो केवल रबर स्टाम्प रहे हैं. नतीजा दिल्ली के जंतर-मंतर पर स्थित प्रदेश कार्यालय लगभग सुना-सुना रहता है. लिस्ट में जुड़े पदाधिकारी आते नहीं, जो कभी-कभार आते हैं, वो केवल पार्टी का नाम लेकर अपनी व्यक्तिगत लाभ उठाने में जुटे हैं. वर्तमान स्थिति ये है कि आप, बीजेपी, कांग्रेस के मुकाबले जदयू को दिल्ली में कार्यकर्ता भी जुड़ने को तैयार नहीं हो रहे हैं. पार्टी के पास कहने को लिस्ट में पदाधिकारी जरूर समय के अनुसार बदल जाते हैं, मगर पार्टी का विस्तार केवल जंतर मंतर कार्यालय तक सीमित है. पार्टी का कोई भी बड़ा कार्यक्रम 2017 के बाद नहीं हुआ. वर्तमान में दिल्ली प्रदेश का प्रभारी संजय झा हैं, जिन्हें दोबारा नीतीश कुमार मंत्रिमंडल में मंत्री बनाया गया है. पटना में रहने के कारण मंत्री संजय झा के पास समय का अभाव है और वर्तमान दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष दयानद राय भी अपने निजी बिजनेस को चलाने में व्यस्त रहते हैं, सो पार्टी फ़िलहाल कोमा में दिखती है. राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह और प्रभारी संजय झा ने दयानन्द राय को प्रदेश कार्यालय में बैठने को कहा है, लेकिन वो कार्यालय आते ही नहीं हैं और अपने घर से पार्टी को मनमाफिक चला रहे हैं. पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं ने कहा कि वे लोग अध्यक्ष दयानन्द राय को ढूंढ रहे हैं. दयानन्द राय के करीबी एकनाथ सिंह कभी कभी पार्टी कार्यालय में अपना निजी बिजनेस करने लगे दिखते हैं.

बिहार में तेजी तो फिर दिल्ली में सुस्ती क्यों ?

बिहार में पार्टी को मजबूत करने का अभियान शुरू है, वहीं दिल्ली में ये काम ठंडा पड़ा है. पार्टी ने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह वर्तमान में चल रहे संसद के बजट सत्र में भाग लेने के कारण दिल्ली में पार्टी कार्यालय में आते हैं. कई प्रदेशों के नेताओं के साथ मीटिंग भी कर रहे हैं, लेकिन दिल्ली प्रदेश में विस्तार को लेकर कोई ज्यादा तवज्जो नहीं दे रहे हैं. हालांकि कई बार दिल्ली के अध्यक्ष दयानद राय को हिदायत दे चुके हैं कि पार्टी के असली कार्यकर्ताओं को दरकिनार नहीं करना है, पार्टी का विस्तार करना है ताकि राष्ट्रीय स्तर पर इसका लाभ मिले. दिल्ली प्रदेश के अधिकांश नेता भी मानते हैं कि दिल्ली में एक मजबूत अध्यक्ष की जरुरत है, जो पार्टी को खड़ा करे. पार्टी का दुर्भाग्य रहा है कि अभी तक केवल बिल्डर और बिज़नेसमैन ही अध्यक्ष बनाये गए, नतीजा पार्टी आज भी हाशिये पर दिखती है. दिल्ली में रहने वाले करीब 40 फीसदी बिहार के लोग हैं, जिनके वोट से दिल्ली में सरकार बनती है. अभी ये वोट बैंक केजरीवाल की पार्टी आप में शिफ्ट है. बिहार में पिछले 15 वर्ष से जदयू सत्ता में है, फिर भी पार्टी दिल्ली में पटरी पर नहीं है. राजनीतिक पंडितों का मानना है कि जिस दिन नीतीश कुमार चाहेंगे उसी दिन से पार्टी दिल्ली में उठ खड़ी होगी. बिहार के कई वरिष्ठ जदयू नेताओं ने कहा कि दिल्ली में पार्टी को मजबूती की आवश्कता है. पार्टी की स्थिति ये है कि पिछले दिल्ली विधान सभा चुनाव में बुराड़ी और संगम विहार में खड़े उम्मीदवार को थोड़ा वोट मिल पाया.

कोरोना फण्ड में हेराफेरी पर आरसीपी सिंह ने दिल्ली प्रदेश टीम से माँगा जवाब

जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने दिल्ली में बिहार सरकार से मिले कोरोना फण्ड के इस्तेमाल में गड़बड़ी की शिकायत आने पर प्रदेश अध्यक्ष दयानद राय से जवाब माँगा है. अभी तक इसका जबाब नहीं मिल पाया है. दरअसल बिहार सरकार ने कोरोना के कारण लॉकडाउन में प्रभावित दिल्ली में रहने वाले बिहारी नागरिकों के लिए रिलीफ फण्ड जारी किया था. इस फण्ड को फर्जी ढंग से हड़पे जाने की खबर है. इस फण्ड की खर्च में ये बताया गया है कि लॉकडाउन के समय में दिल्ली हर दिन लाखों बिहारी लोगों को खाना खिलाया गया है, लेकिन जमीनी स्तर पर ऐसा हुआ ही नहीं. इस लेखा-जोखा में गड़बड़ी कि शिकायत मिलने पर आरसीपी सिंह ने इसका हिसाब माँगा. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने दबी जुवान में कहा कि गड़बड़ी की शिकायत गंभीर मामला है. पार्टी को इस मामले में करवाई करने की जरुरत है.

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