सी एन मिश्रा
दिल्ली में नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यू हाशिये पर दिखती है. दिल्ली में गैर राजनितिक पृष्भूमि से आने वाले प्रदेश अध्यक्ष की कारगुजारियों के चलते पार्टी हाशिये पर है. पार्टी दिल्ली में विस्तार तो करना चाहती है मगर जमीनी नेता के अभाव में फ़िलहाल कर नहीं पा रही है. शरद यादव के बाद अब जद यू का दिल्ली कार्यालय केवल राजनीतिक नहीं बल्कि निजी व्यवसाय करने का ठिकाना बना पड़ा है. अरुणाचल में बीजेपी ने जिस तरह जनता दल यू के छह विधायकों को अपने पार्टी में मिला लिया है इसके बाद नीतीश कुमार सकते में हैं. इसके बाद दो दिन पहले IAS-IPS अधिकारीयों की पोस्टिंग में भी बीजेपी का दबदबा देखा गया है. नितीश कुमार अब चाहते हैं कि पार्टी का विस्तार राष्ट्रीय स्तर पर हो ताकि बीजेपी के दबाब का मुकाबला किया जा सके.
बीजेपी का दबाब नितीश कुमार पर लगातर बढ़ रहा है
पार्टी के रणनीतिकार का मानना है कि मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार ने अब बीजेपी के दबाब में नहीं रहने का मन बनाया है. बिहार में सरकार रहे या नहीं इस पर मंथन अभी चल रहा है. जद यू अब बिहार से बाहर पार्टी का विस्तार करने में जुट गयी है. नितीश कुमार की चुनौती ये है कि शरद यादव के हटने के बाद कोई बड़े नेता नहीं है कि पार्टी का विस्तार बिहार से बाहर करा सके. अभी तक नितीश कुमार केवल बिहार के राजनीति करते रहे हैं. फ़िलहाल राजनीतिक अंकगणित का आंकलन किया जाय तो पता चलेगा कि बदले हुए परिस्थितियों में अब अगर खुद को नितीश नहीं बदले तो ये भी संभव है कि जिस तरह शिव सेना, फिर अकाली दल को बीजेपी ने किनारा कर दिया ठीक उसी प्रकार जद यू को भी देर -सबेर कर दिया जायेगा.
बिहार में नयी सरकार बने दो महीने हो गए लेकिन अभी तक मंत्रिमंडल विस्तार नहीं हो पाया है. अरुणाचल की घटना से जद यू में आक्रोश देखा जा रहा है. नितीश कुमार ने अब अपनी रणनीति में बदलाव किया और अपने भरोसेमंद सांसद आर सी पी सिंह को जद यू का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया है. चुनाव के समय सीटों का बंटवारा हो या पार्टी में प्रत्याशियों का चयन, नीतीश कुमार आरसीपी सिंह पर सबसे ज्यादा भरोसा करते हैं. इसके साथ ही बिहार में वो अब लगातार क्षेत्रों में घूम रहे हैं. पार्टी का विस्तार करने के लिए पटना में देश भर के पार्टी अध्यक्ष और प्रभारी के साथ मीटिंग किया और मेम्बरशिप ड्राइव तेज करने का निर्देश दिया है.
अभी तक बिहार से बाहर जद यू का विस्तार ठीक से नहीं हो पाया है. दिल्ली में जहाँ बिहार की बड़ी आबादी है, उनको अपने साथ जोड़ने में जद यू काफी पीछे है. राजधानी दिल्ली में बिहार और उत्तरप्रदेश के वोटर ये तय करते हैं कि दिल्ली के प्रदेश सरकार किस पार्टी की बननी है. पिछले दो विधान सभा चुनाव में बिहार का ये वोट बैंक सीधे अरविन्द केजरीवाल की पार्टी आप में शिफ्ट हो गयी. बीजेपी और कांग्रेस को वोटरों ने पूरी तरह नकार दिया है.
दिल्ली में जद यू की दिक्कत ये है कि अभी तक कोई भी जमीनी नेता राजनीति के क्षेत्र से प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारी नहीं बने हैं. जब शरद यादव के जिम्मे ये जिम्मेवारी थी तब भी पार्टी हाशिये पर रही. दिल्ली प्रदेश में अब तक जो अध्यक्ष बने वो पूरी तरह व्यवसायी थे और अभी भी हैं. नतीजा पार्टी का विस्तार तो छोड़िए पार्टी के दिल्ली के जंतर-मंतर स्थित कार्यालय में कोई भी राजनीतिक गतिविधि होती नहीं दिखती हैं. पार्टी कार्यालय में दो-चार लोग कभी-कभार आते जाते रहते हैं जो अपनी व्यक्तिगत व्यवसाय की डीलिंग के लिए इस जगह उपयोग करते हैं, बाकि समय पार्टी कार्यालय बंद ही रहता है.
दिल्ली प्रदेश जदयू के प्रभारी संजय झा हैं और अध्यक्ष दयानद राय. संजय झा पिछले मंत्रिमंडल में बिहार के जल संसाधन मंत्री भी रहे हैं. स्वर्गीय अरुण जेटली के एपीएस रहे हैं और नितीश कुमार के लिए दिल्ली में काम करते हैं. यही कारण रहा कि पिछले मंत्रिमंडल में अंतिम समय में उन्हें ईनाम में बिहार का मंत्री भी बनाया गया था. दिल्ली प्रभारी संजय झा ने व्यवसायी दयानन्द राय को दिल्ली प्रदेश का अध्यक्ष बनाया. दयानन्द राय पूरी तरह व्यवसायी हैं जिन्हें दिल्ली के द्वारका में बन रहे बिहार सदन में बिजली से संबंधित काम का ठेका मिला है. जब से दयानन्द ने कमान संभाली तब से दिल्ली में एक बार भी पार्टी का कोई बड़ा कार्यक्रम नहीं हुआ. हाँ इतना जरूर हुआ कि कुछ छुटभैये लोगों की लिस्ट में पदाधिकारी का नाम जोड़ दिया गया.
कोरोना काल में बिहार सरकार के द्वारा दिल्ली में रहने वाले प्रवासियों के नाम पर फर्जी बिल पर राशि जरूर हड़प लिए गए. प्रदेश के कई नेताओं ने दबी जुबान से कहा कि बिहार सरकार को इस मामले की जाँच करनी चाहिए. अंतिम बार दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में 2017 में पार्टी का कार्यक्रम हुआ था. तब दिल्ली के अध्यक्ष नरसिंग शाह थे.
पार्टी से जुड़े कार्यकर्ताओं का मानना है कि अरुणाचल में जद यू विधायक के बीजेपी में शामिल होने के बाद दिल्ली में अब पार्टी विस्तार तो करना चाहती है, मगर जब पूरी तरह व्यवसाय करने वाले ही पार्टी चलायेगें तो फिर विस्तार होना केवल नीतीश कुमार के लिए सपना हो सकता है.