दिल्ली: डॉ. निशा सिंह/ लखनऊ : विक्रम राव :
उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में JDU अकेले लड़ेगी. बीजेपी और जेडीयू में बात नहीं बनी, जबकि केन्द्र में दोनो सहयोगी पार्टियां हैं और बिहार में इन दोनों दलों ने मिलकर सरकार बनाई है. इतना ही नहीं, कम सीटें लाने के बाद भी जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार को सीएम पद बीजेपी ने दिया, लेकिन अब जदयू यूपी में बीजेपी से अलग चुनाव लड़ेगी. 18 जनवरी को जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष अनूप पटेल ने लखनऊ में अहम बैठक बुलाई है. जदयू महासचिव और यूपी प्रभारी केसी त्यागी ने बताया कि लखनऊ में होने वाली बैठक के बाद प्रत्याशियों के नामों की पहली लिस्ट जारी की जाएगी.
बता दें कि इससे पहले जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा था कि केन्द्रीय मंत्री और यूपी चुनाव के प्रभारी आरसीपी सिंह ने सूचना दी है कि यूपी में बीजेपी-जेडीयू के साथ गठबंधन के लिए तैयार है, जिसके बाद जेडीयू ने अपने संभावित सीटों की सूची भी बीजेपी को सौंप दी थी, लेकिन बात नहीं बन पाने के कारण जेडीयू ने यूपी में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है. बिहार और यूपी से लगे करीब आधे दर्जन सीटों पर नीतीश कुमार की जाति का वोट बैंक है, जो निर्णायक स्थिति में रहती है. ये वोट बैंक अभी अपना दल की अनुप्रिया पटेल के खाते में शिफ्ट है. अनुप्रिया पटेल अभी यूपी में बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही हैं और खुद केन्द्र में मंत्री भी हैं. जदयू इस वोट बैंक के सहारे यूपी में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहती है.
ऐसा पहली बार नहीं होगा जब केंद्र में एक दूसरे को समर्थन देने वाले दो दलों ने राज्य चुनावों में गठबंधन से अलग जाकर चुनाव लड़ा हो. इससे पहले झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने 2009 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस से अलग होकर चुनाव लड़ा था, जबकि केंद्र में सत्तारूढ़ यूपीए के घटक दलों में जेएमएम भी शामिल थी.