न्यूज डेस्क :
इंडसइंड बैंक ने बिना मांगे 84000 लोगों को लोन दे दिया और इसकी खबर आते ही आज शुरुआती कारोबार में इंडसइंड बैंक के शेयर 11.50 फीसद तक गिर गए. बाद में बैंक ने सफाई देते हुए कहा कि यह मानवीय गलती नहीं, बल्कि तकनीकी खामी के कारण हुआ था. निजी क्षेत्र के इंडसइंड बैंक ने व्हिसलब्लोअर के दावे को पूरी तरह से आधारहीन बताया है. पिछले दो दिनों में फील्ड स्टाफ ने पूरी जांच के बाद जो रिपोर्ट दी है उसके अनुसार बैंक ने बिना ग्राहकों की सहमती के कर्ज बांट दिए थे. यह सब तकनीकी खामी के चलते हुआ था और अब इस खामी को तेजी से ठीक कर रहे हैं.
गौरतलब है कि बैंक ने शनिवार को यह माना था कि मई में उसने बिना ग्राहकों की मंजूरी लिए 84,000 लोन डिस्बर्स कर दिए थे. बता दें कि 5 नवंबर को खबरें आई थीं कि किसी गुमनाम व्हिसलब्लोअर ने बैंक मैनेजमेंट और आरबीआई को ये जानकारी दी थी कि कंपनी ने बिना ग्राहकों की सहमति के सदाबहार लोन बांट दिए हैं. दावा किया था कि बैंक के मौजूदा ग्राहक जो लोन नहीं चुका पाए हैं उन्हें भी बैंक की ओर से नए लोन बांटे जा रहे हैं.
बैंक का दावा- सभी लोन बीएफआईएल ने दिए
बैंक ने अपने बयान में कहा है कि सभी लोन बीएफआईएल ने दिए हैं, जिसमें कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर के दौरान बांटे गए लोन भी शामिल हैं. बीएफआईएल मूल रूप से इंडसइंड बैंक की माइक्रोलेंडिंग फोकस्ड सब्सिडियरी है. बैंक ने जानकारी देते हुए यह भी कहा कि सितंबर 2021 के अंत तक इन 84,000 ग्राहकों में से 26,073 एक्टिव थे और इन लोगों पर 34 करोड़ रुपए का बकाया है.