नई दिल्ली : संवाददाता
भारत और मिस्र के बीच राजनयिक सम्बंधों के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) ने भारतीय सांस्कृतिक सम्बंध परिषद् (आईसीसीआर) के साथ मिलकर मिस्र के 15 मूर्ति शिल्पकारों व फोटोग्राफरों के काम की एक प्रदर्शनी आयोजित की है. इस दौरान मिस्र के राजदूत ने कहा कि भारत और मिस्र के सम्बंधों में दोनों देशों के लोगों की अहम भूमिका है. प्रदर्शनी का उद्घाटन भारत में मिश्र के राजदूत माननीय वाएल हमीद ने 30 नवंबर, बुधवार को आईजीएनसीए की ‘दर्शनम’ कला दीर्घा में किया. इस प्रदर्शनी को 4 दिसम्बर तक सुबह 11 बजे से शाम 6 बजे तक देखा जा सकता है.
इस प्रर्दशनी में विशिष्ट अतिथि आईसीसीआर के अध्यक्ष डॉ. विनय सहस्रबुद्धे, आईजीएनसीए के अध्यक्ष रामबहादुर राय तथा सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी और आईसीसीआर के महानिदेशक कुमार तुहिन मौजूद थे. प्रदर्शनी के क्यूरेटर अहमद सालेह, जो मिस्र के संस्कृति मंत्रालय में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों के महानिदेशक हैं, उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच सम्बंध निरंतर मजबूत हो रहे हैं. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी को भारत के गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 2023 पर मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित करना इसका प्रमाण है. उन्होंने यह भी कहा कि पिछले 75 वर्षों की अवधि में भारत और मिस्र के बीच सम्बंधों में मजबूती सिर्फ राजनीतिक, आर्थिक और रक्षा सम्बंधों के कारण ही नहीं आई है, बल्कि दोनों देशों के लोगों के आपसी संपर्कों के कारण भी आई है.
प्रदर्शनी में मिस्र की समकालीन आधुनिक कला को प्रदर्शित किया गया है. इस संदर्भ में वाएल हमीद ने कहा कि 1990 के दशक और बीसवीं शताब्दी के बीच मिस्र में विजुअल आर्ट माध्यम के फॉर्म और अवधारणाओं में काफी बदलाव हुए. मिस्र भी आधुनिक तकनीक से प्रभावित था, यह एक बेहद महत्त्वपूर्ण कारक था, जिसने कलात्मक सोच की नई लहर को मजबूती दी और उसे आगे बढ़ाया.
इस प्रदर्शनी में विनय सहस्रबुद्धे ने कहा कि दुनिया में 200 से ज्यादा देश हैं, लेकिन कुछ ही देश हैं, जो अपनी नदियों के लिए जाने जाते हैं और मिस्र तथा भारत उनमें से एक है. इस तरह भारत और मिस्र दोनों की सभ्यताएं नदियों के किनारे विकसित हुई हैं. उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि अहमद सालेह ने फोटोग्राफ और मूर्तिशिल्प जैसी विधाओं की संयुक्त प्रदर्शनी के लिए भारत को चुना.
यह कला प्रदर्शनी मिस्र की कला में पिछले कुछ दशकों में आए बदलावों को बहुत स्पष्टता के साथ दिखाती है. अलग-अलग उम्र के 15 मिस्री कलाकारों की कलाकृतियों को दो मुख्य वर्गों में रखा गया है- फोटोग्राफी खंड और मूर्तिशिल्प खंड. फोटोग्राफी खंड में अलग-अलग दृष्टि और दर्शन वाले पांच कलाकारों के काम शामिल हैं तथा मूर्ति शिल्प खंड में 10 कलाकारों के काम शामिल हैं, जिनमें कांस्य शिल्प, काष्ठ शिल्प, प्रस्तर शिल्प और पॉलिएस्टर की कलाकृतियां शामिल हैं. प्रदर्शनी में शामिल कलाकृतियां मिस्र की कला और संवेदनाओं को बहुत सुक्ष्मता से पेश करती हैं. ये मिस्र के लोगों की मुक्ति के आग्रह को भी दिखाती हैं. प्रदर्शनी के बारे में बात करते हुए क्यूरेटर श्री अहमद सालेह ने कहा कि प्रदर्शनी में जिन पांच फोटोग्राफरों को फोटो शामिल किए गए हैं, वो अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित हैं.
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