न्यूज डेस्क
आंकड़ों की बात हो तो देश के 50 फीसद शहरी क्षेत्रों में ड्रैनेज या सीवर नहीं है. लगभग 4500 शहरी निकायों में से ज्यादातर सीवर व ड्रेनेज प्रणाली के मामले में फिसड्डी हैं. खुले में बहने वाले नालों को ही अभी तक सीवर लाइन का दर्जा प्राप्त है. ड्रेनेज सिस्टम की हालत तो और भी बदतर है. देश के 56.4 फीसद शहरी वार्डों में सीवर लाइन नेटवर्क नहीं है. शहरी विकास के विशेषज्ञों का अनुमान है कि भारत में 80 फीसद सीवर का मलमूत्र सीधे नदियों, जलाशयों, झीलों और तालाबों में बहाया जाता है. सीवर नेटवर्क न होने से अधिकतर कस्बों और शहरी निकायों में मलमूत्र जमीन के भीतर डाल दिया जाता है. भूजल पर निर्भर पेयजल आपूर्ति के लिए यह एक गंभीर चिंता का विषय है.