न्यूज डेस्क
ट्रैक्टर परेड के दौरान किसान आंदोलन के 62वें दिन गणतंत्र दिवस के अवसर पर आंदोलन पूरी तरह से हिंसक हो गया. आईटीओ और लालकिले पर किसानों ने जमकर हंगामा किया. प्रदर्शनकारियों ने लाल किले की प्राचीर से अपने संगठन का झंडा लहरा दिया. इस दौरान कई जगहों पर पुलिस और किसानों के बीच हिंसक झड़प हुई.
सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा मामला
ट्रैक्टर परेड के दौरान लालकिला की प्राचीर
पर प्रदर्शकारियों द्वारा झंडा फहराने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बोबड़े को पत्र लिखकर स्वतः संज्ञान लेने की मांग की गई है. कानून के छात्र आशीष राय ने मुख्य न्यायाधीश को ये पत्र लिखा है कि दूसरा झंडा फहराने वाले प्रदर्शकारियों पर करवाई की जाए. याचिका में कहा गया कि लालकिला की प्राचीर
पर प्रदर्शकारियों द्वारा दूसरा झण्डा लगाना राष्ट्रीय झंडे का अपमान है.
पुलिस को सख्त कार्रवाई का निर्देश
दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने सभी पुलिस कर्मियों को और दिल्ली में मौजूद सभी जवानों को कहा कि उपद्रवियों का पूरी शक्ति के साथ मुकाबला करें. पुलिस के साथ हिंसक झड़प के बाद अब दिल्ली पुलिस पूरी तरह से सख्त होती दिख रही है.
अतिरिक्त अर्धसैनिक बलों की तैनाती होगी
पैरामिलिट्री फ़ोर्स की 15 और कंपनियां तैनात होगी, जिसमें 10 कंपनियां CRPF की और 5 कंपनियां दूसरी पैरामिलिट्री फ़ोर्स की है. ट्रैक्टर आंदोलन के चलते क्रेंद्र सरकार ने कल यह फैसला लिया था और आंदोलन की उग्रता को देखते हुए इसे आज लागू कर दिया गया. स्थिति को नियंत्रित करने के लिए गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर आपात बैठक बुलाई गई थी, जिसमें दिल्ली में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर मंथन किया गया और अर्द्ध सैनिक बलों की तैनाती का फैसला लिया गया.
दिल्ली में मेट्रो और इंटरनेट को भी बंद किया गया
किसान आंदोलन की उग्रता को देखते हुए ग्रे लाइन मेट्रो के सभी स्टेशनों को बंद कर दिया गया है. लाल किला, इंद्रप्रस्थ मेट्रो, दिल्ली गेट, आईटीओ, जमा मस्जिद, दिलशाद गार्डन, झिलमिल और मानसरोवर पार्क समेत कई मेट्रो स्टेशनों को बंद कर दिया गया है. हालात ऐसे हो गए कि केंद्रीय गृहमंत्रालय को दिल्ली के कुछ इलाकों में इंटरनेट बंद करने का फैसला लेना पड़ा. गृह मंत्रालय ने सिंघू बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर, मुकरबा चौक और नांगलोई के इलाकों में आज रात 12 बजे तक के लिए इनटरनेट सेवा बंद कर दिया है.
आंदोलन पूरी तरह हिंसक
कहीं – कहीं पर किसानों ने पुलिस पर भी ट्रैक्टर चढ़ाने की कोशिश की. आंदोलनकारियों ने पुलिस के ऊपर पत्थरबाजी भी की. प्रदर्शनकारी किसान पहले से तय रास्ते से हटकर दिल्ली में दाखिल हो गए थे और सैकड़ों किसान लाल किला पहुंच गए थे. इस दौरान लाल किला के ऊपर चढ़कर किसानों ने केसरिया झंडा फहरा दिया, जिसे बाद में पुलिस ने उतार दिया. कुछ जगहों पर पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा. पुलिस ने उन्हें नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज भी किया. आईटीओ पर तो अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो गई थी, जहां प्रदर्शनकारी हाथ में डंडे लेकर पुलिस कर्मियों को दौड़ाते और अपने ट्रैक्टरों को वहां खड़ी बसों को टक्कर मारते दिखे.
राजनीतिक दलों सहित सभी प्रमुख लोगों ने हिंसा की निंदा की है
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसानों से शांति बनाए रखने की अपील की है. राहुल गांधी ने ट्वीट किया है कि, “हिंसा किसी समस्या का हल नहीं है. चोट किसी को भी लगे, नुक़सान हमारे देश का ही होगा. देशहित के लिए कृषि-विरोधी क़ानून वापस लो.”
स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कहा कि यह बिना किसी संदेह के निंदनीय है और शर्मिंदगी का विषय है. आप की तरफ से भी इस घटना की निंदा की गई है. बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं सहित प्रमुख बुद्धिजीवियों ने इस हिंसक घटना की निंदा की है.