डॉ. निशा कुमारी
अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में केंद्रीय कोयला राज्य मंत्री रहे दिलीप रे झारखंड कोल आवंटन केस में दोषी करार दिए गए हैं. आज सुप्रीम कोर्ट में इस केस को लेकर सुनवाई हुई और कोर्ट ने पूर्व मंत्री को दोषी करार दिया है. यूपीए सरकार ने इस केस की सीबीआई जांच का आदेश दिया था. सीबीआई कोर्ट ने इस केस में दिलीप रेे के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया था.
इस केस में सीबीआई ने 2012 में एफआईआर दर्ज किया था. झारखंड के गिरिडीह के ब्रह्मडीहा कोल ब्लॉक के आवंटन में नियमों का उल्लंघन किया गया था. मामला 1999 में कैस्ट्रोन टेक्नोलॉजी लिमिटेड के कोल आवंटन का है, जिस समय दिलीप रे केंद्रीय कोयला राज्य मंत्री थे.
दिलीप रे ने खुद ही स्वीकार किया है कि कैस्टरॉन टेक्नोलॉजी लिमिटेड के मालिक पीके अग्रवाल के कहने पर उन्होंने इस आवंटन के लिए मंत्रालय को समीक्षा करने के लिए कहा था.
विशेष सीबीआई कोर्ट ने अप्रैल, 2017 में दिलीप रे के अलावा कोयला मंत्रालय में रहे तब के दो वरिष्ठ अधिकारियों प्रदीप कुमार बनर्जी और नित्यानंद गौतम के साथ-साथ कैस्ट्रॉन टेक्नॉलॉजी लिमिटेड और उसके डायरेक्टर महेंद्र कुमार अग्रवाल के खिलाफ धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और विश्वास हनन का आरोप तय किया था. अदालत ने तब कहा था कि आरोपियों के खिलाफ मुकदमा शुरू करने के लिए पर्याप्त प्रमाण हैं. दिलीप रे तब कोयला राज्यमंत्री थे जबकि प्रदीप कुमार बनर्जी कोयला मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव और परियोजना सलाहकार थे. मामले की जांच कर रही सीबीआई ने कहा था कि रे ओडिशा में विधायक हैं और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार मुकदमा दैनिक आधार पर चलाया जाना चाहिए.