न्यूज़ डेस्क
तिब्बत की निर्वासित सरकार के अगले सिक्यॉन्ग (राष्ट्रपति) के चुनाव के लिए आज रविवार को वोट डाले जाएंगे. दो चरणों में होने वाले चुनाव की आज से शुरुआत है. हार्वर्ड के स्कॉलर लोबसांग सांगेय ने इस वर्ष केंद्रीय तिब्बत प्रशासन (CTA) के राष्ट्रपति के रूप में अपना दूसरा कार्यकाल पूरा किया है.
सांगेय के कार्यकाल की ऐतिहासिक उपलब्धि चीन के विरोध के बावजूद अमेरिका की 2020 के तिब्बत नीति और समर्थन अधिनियम का पारित होना है. एक ऐसा निर्णय जिसने तिब्बत पर अमेरिकी नीति को मजबूत किया और दलाई लामा और सीटीए के लिए सरकार के समर्थन की फिर से पुष्टि की.
TPSA अमेरिकी नीति को आधिकारिक बनाता है कि दलाई लामा को चुनने का फैसला विशेष रूप से वर्तमान दलाई लामा, तिब्बती बौद्ध नेताओं और तिब्बती लोगों के अधिकार क्षेत्र में है. जिस तरह से LAC पर चीन आक्रामक है और दलाई लामा के लिए अपना उत्तराधिकारी नियुक्त करना चाहता है, ऐसे में तिब्बती प्रशासन और उसके राष्ट्रपति की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है.
भारत और दुनियाभर में करीब 1.3 लाख निर्वासित तिब्बती हैं. पहले चरण के चुनाव के नतीजे 8 फरवरी को घोषित किए जाएंगे. वहीं, दूसरे और आखिरी चरण की वोटिंग 11 अप्रैल को होने की उम्मीद है. सांगेय के कार्यकाल की ऐतिहासिक उपलब्धि चीन के विरोध के बावजूद अमेरिका की 2020 के तिब्बत नीति और समर्थन अधिनियम (TPSA) का पारित होना है. एक ऐसा निर्णय जिसने तिब्बत पर अमेरिकी नीति को मजबूत किया और दलाई लामा और सीटीए के लिए सरकार के समर्थन की फिर से पुष्टि की. TPSA अमेरिकी नीति को आधिकारिक बनाता है कि दलाई लामा को चुनने का फैसला विशेष रूप से वर्तमान दलाई लामा, तिब्बती बौद्ध नेताओं और तिब्बती लोगों के अधिकार क्षेत्र में है. जिस तरह से LAC पर चीन आक्रामक है और दलाई लामा के लिए अपना उत्तराधिकारी नियुक्त करना चाहता है, ऐसे में तिब्बती प्रशासन और उसके राष्ट्रपति की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है.