चुनाव आयोग ने शिवसेना के चुनाव चिन्ह ‘धनुष और तीर’ को किया फ्रीज, दोनों गुट ठाकरे और शिंदे नहीं कर पाएंगे इस्‍तेमाल

Election commission freezes shivsena party name and symbol

दिल्ली : डॉ. निशा सिंह

चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र की पार्टी शिवसेना के चुनाव निशान ‘धनुष और तीर’ को फ‍िलहाल फ्रीज कर दिया है. चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे दोनों गुटों को पार्टी के नाम ‘शिवसेना’ और उसके ‘धनुष और तीर’ चुनाव चिह्न को अगले आदेश तक इस्‍तेमाल करने पर रोक लगा दी है. यानी दोनों ही गुट (उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे) निर्वाचन आयोग के अगले आदेश आने तक पार्टी के नाम ‘शिवसेना’ और उसके चुनाव चिह्न ‘धनुष और तीर’ का इस्‍तेमाल नहीं कर पाएंगे. आपको बता दें कि बागी हुए एकनाथ शिंदे के गुट ने 3 नवंबर को होने वाले अंधेरी (पूर्व) विधानसभा उपचुनाव से पहले चुनाव चिह्न पर जल्दी निर्णय लेने का अनुरोध किया था.

निर्वाचन आयोग ने आज अपने अंतरिम आदेश में कहा कि महाराष्‍ट्र में होने जा रहे विधान सभा उपचुनावों में दोनों धड़े नए नाम और आवंटित चुनाव चिह्न का फिलहाल इस्‍तेमाल कर सकते हैं. चुनाव आयोग ने साफ कहा है कि अंधेरी पूर्व उपचुनाव में दोनों गुटों में से किसी को भी पार्टी का नाम ‘शिवसेना’ और उसके चुनाव चिह्न ‘धनुष और तीर’ का इस्‍तेमाल करने की अनुमति नहीं होगी. दोनों गुटों को मौजूदा उप-चुनावों में उसकी ओर से अधिसूचित प्रतीकों की सूची में से ऐसे सिम्‍बल्‍स का आवंटन भी किया जाएगा जिसे वे चुन सकते हैं. निर्वाचन आयोग के आज के फैसले से साफ है कि शिवसेना पर काबिज होने को लेकर शिंदे और उद्धव गुट के बीच लड़ाई लंबी चलनेवाली है. ‍महाराष्ट्र के पूर्व ‍मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का गुट ने महाराष्‍ट्र के अंधेरी पूर्व विधानसभा के होने वाले उपचुनाव में उसको तीर-धनुष चुनाव चिह्न आवंटित करने की मांग की थी. निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को इस मामले में उद्धव गुट को नोटिस जारी कर आज तक अपना पक्ष रखने को कहा था.

स्वर्गीय रामविलास पासवन की लोक जनशक्ति पार्टी के मामले में आ चुका है ऐसा फैसला

चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र में खाली हुई अंधेरी पूर्व विधानसभा के लिए उपचुनाव सीट के लिए सात अक्टूबर से नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जो 14 अक्टूबर तक चलेगी. तीन नवंबर को इस विधानसभा सीट के लिए चुनाव होने हैं. दोनों ही गुट इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा चुके हैं. लोक जनशक्ति पार्टी के भीतर भी ऐसा ही विवाद सामने आया था जिसको लेकर निर्वाचन आयोग ने पार्टी का चुनाव चिन्ह जब्त कर लिया था. बाद में दोनों गुटों (चिराग पासवान और पशुपति पारस) को अलग-अलग चुनाव चिन्ह आवंटित किया था. फिलहाल पारस अभी मोदी कैबिनेट में राज्य मंत्री हैं, जबकि रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान एनडीए गठबंधन से अलग हैं.

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