पटना : मुन्ना शर्मा
बिहार में बाहुबल का इतिहास काफी पुराना है. इसकी धमक सूबे के बाहर भी सुनी जाती रही है. एक वक्त था जब बाहुबलियों ने बिहार में अपनी समानांतर सरकारें भी चलाईं. धन और बाहुबल के जरिए इन्होंने सरकार बनाने से लेकर बिगाड़ने तक का खेल खेला. कभी राजनेताओं की जीत पक्की करनेवाले बाहुबलियों को अपने दमखम पर इतना भरोसा हो गया कि उन्होंने खुद चुनावी राजनीति में किस्मत आजमाना शुरू कर दिया. इसी कड़ी से जुड़े हैं पूर्व मंत्री बाहुबली नेता ददन पहलवान. कभी लालू यादव के बेहद करीब रहे और राबड़ी मंत्रिमंडल में वित्त वाणिज्यकर राज्य मंत्री रहे बाहुबली नेता ददन पहलवान पर अब सरकार ने कार्रवाई शुरू कर दी है.
केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी ने एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए बिहार से पूर्व विधायक और बाहुबली नेता रहे ददन सिंह उर्फ ददन पहलवान और उसके परिवार से जुड़े कई लोगों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए सात स्थानों पर जमीन सहित 7 लग्जरी गाड़ियां और कई संपत्तियों को अटैच कर लिया है. ईडी के मुताबिक यह जांच ददन पहलवान और अन्य के खिलाफ बिहार और उत्तर प्रदेश के विभिन्न थानों में दर्ज 5 आपराधिक मामलों को आधार बनाकर किया गया था. ये मामले आर्म्स एक्ट, हत्या का प्रयास, आपराधिक षडयंत्र, धोखाधड़ी आदि से जुड़े हैं.
ददन के अलावा पत्नी और बेटे की सम्पत्ति भी ईडी ने जब्त किया
ईडी के मुताबिक ददन सिंह उर्फ यादव के खिलाफ बिहार और उत्तर प्रदेश में साल 2004 के दौरान कई मामले दर्ज हुए थे. ददन पहलवान, उनकी पत्नी उषा देवी और बेटे करतार सिंह के नाम पर अर्जित की गई जमीन, गाड़ियां और बैंक बैलेंस को ईडी ने जब्त किया है. इसमें पत्नी के नाम पर डुमरांव में खरीदे गए सात प्लॉट और बेटे के नाम पर बलिया व डुमरांव में लिया गया चार प्लॉट शामिल है. इसकी कीमत 19.26 लाख रुपए है. इसके अलावा ददन सिंह के नाम पर 27,88,189 रुपए में खरीदी गई दो स्कॉर्पियो, एक स्विफ्ट और मार्शल जीप को भी जब्त करने का आदेश दिया गया है. पत्नी के नाम पर एक चारपहिया और बेटे के नाम पर दो चारपहिया गाड़ियां भी इसमें शामिल हैं. ददन पहलवान और उनकी पत्नी के संयुक्त खाते में जमा 21,903 रुपए को भी जब्त कर लिया गया है. आपको बता दें कि बाहुबली नेता रहे ददन सिंह के खिलाफ फर्जीवाड़ा करने का आरोप, हथियारों और गोला बारूद रखने और लेनदेन करने का आरोप, कई प्रॉपर्टी पर अवैध कब्जा हत्या करने, हत्या करने के प्रयास, जैसे कई संगीन मामलों में दर्ज हुआ था, उसके बाद उन्हीं मामलों को आधार बनाते हुए जांच एजेंसी ईडी ने PMLA यानी मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था.
जानिए क्या है पूर्व मंत्री और पूर्व जेडीयू विधायक बाहुबली ददन पहलवान का इतिहास
बिहार में सरकार बनाने और बिगारने के खेल में बाहुबली ददन पहलवान की भूमिका रही है. लालू-राबड़ी का शासन रहा हो या नीतीश कुमार का शासन, पिछले 25 वर्षों में ददन पहलवान ने अपने हिसाब से राजनीति के मैदान में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है. ददन यादव बक्सर जिले के डुमरांव अनुमंडल के समहर गांव के रहने वाले हैं. पिछले विधान सभा चुनाव में बक्सर जिले के डुमरांव से जेडीयू विधायक ददन पहलवान का नीतीश कुमार ने टिकट काट दिया और जेडीयू ने पार्टी प्रवक्ता अंजुम आरा को मैदान में उतारा था. ददन पहलवान बिहार के कई सियासी दलों में रहे हैं. पहले वह पहलवानी करते थे. अब सियासी अखाड़े में दांव अजमाते हैं. 2018 में समीक्षा यात्रा के दौरान नीतीश कुमार के ऊपर ददन पहलवान के क्षेत्र में ही पत्थरबाजी हुई थी.
नोटबंदी के दौरान ददन पहलवान खूब सुर्खियों में थे. उन्होंने एक कंपनी से लिए लोन को नहीं चुकाया था. जवाब में ददन ने कहा था कि वो राशि 2014 के लोकसभा चुनाव में हेलीकॉप्टर उड़ाने में खर्च कर दिया. यूपी के पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव की तरह ही ददन यादव भी पहलवानी से राजनीति में आए हैं. सपा, आरजेडी और जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं. राबड़ी सरकार में ददन पहलवान फायनेंसस और कॉमर्स के राज्य मंत्री रह चुके हैं. डुमरांव सीट से 2000 से 2010 तक लगातार विधायक रहे हैं. 2010 में वो चुनाव हार गए थे. 2015 में फिर जेडीयू से मैदान में उतरे और चुनाव जीतने में सफल रहे.
अपने पॉलिटिकल करियर में ददन लगभग सभी दलों में घुम चुके हैं. कभी निर्दलीय भी चुनाव लड़े तो बारी-बारी से बसपा, सपा, और जनता दल सेकुलर के साथ रहे. 2004 में ददन ने बक्सर संसदीय क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ा, पर हार गए. वर्ष 2009 में फिर लोकसभा का चुनाव लड़ा और हार गए. राजनीति करियर बचाने के लिए ददन बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गए और 2014 में लोकसभा चुनाव लड़े. पार्टी बदली, लेकिन किस्मत और वोटर दोनों ददन से दूर रहे. नतीजा ददन को हार ही मिल सकी. 2000-05 वाली सरकार के एक महत्वपूर्ण उलटफेर में ददन ने राजद की सरकार बचाई थी. यादव बिरादरी से आने वाले ददन को लालू ने खुश होकर राबड़ी देवी की सरकार में वित्त वाणिज्य कर राज्य मंत्री बनाया था. रोचक बात यह रही की इसके बाद भी वह राजद में शामिल नहीं हुए. ददन बिहार में वीर लोरिक के नाम पर भी राजनीति करते रहे हैं.