घट रहा है भारत में बच्चे को गोद लेने वालों के आंकड़े, अब गोद लेना आसान होगा

Adoption Process becomes easy in India

न्यूज डेस्क :

भारत में बच्चे को गोद लेने वालों की संख्या हर साल घटती जा रही है और इसका एक कारण इसकी प्रक्रिया की जटिलता भी है. फिलहाल सरकार बच्चे को गोद लेने के बाद 2 साल तक देश में रहने के बाध्यता को खत्म करने जा रही है. सरकार इसके लिए शर्तों में आवश्यक संशोधन करेगी. अभी सरकार इसे कार्यरूप देने के लिए विदेश मंत्रालय के साथ संपर्क में है और अब गोद लेने के 2 साल के अंदर अगर कोई माता-पिता बच्चे के साथ विदेश जाना चाहते हैं तो वह जा सकता है, लेकिन इसके लिए उसे 15 दिन पहले जानकारी देनी होगी. बच्चों की जानकारी संबंधित देश में भारतीय हाई कमिशन को देनी होगी जो बच्ची की निगरानी रखेगा.

सरकार ने 2015 में कानून में बदलाव लाया था

केंद्र सरकार ने वर्ष 2015 के कानून में संशोधन लाकर गोद लेने की प्रक्रिया आसान बनाने के लिए नया कानून का दिया था, लेकिन यह कानून अधिक मददगार नहीं हुआ. जहां पुराने कानून में गोद लेने की प्रक्रिया को अंतिम मंज़ूरी देना फैमिली कोर्ट या सिविल कोर्ट के हाथ में था, वहीं संशोधित कानून के बाद इसपर आखिरी आदेश डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट या एडीश्नल जिला मजिस्ट्रेट को दिया गया, ताकि गोद लेने की प्रक्रिया में देरी न हो. इस कानून के अंदर चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को 120 दिनों में बच्चे को लीगली फ्री एडोप्शन के लिए घोषित करने की जिम्मेदारी दी, लेकिन दो साल या उससे अधिक समय तक पेपर वर्क लटका रहा. यानी लंबा पेपर वर्क भी एक वजह है, जो हमारे देश में लोगों को बच्चा गोद लेने के लिए आगे नहीं बढ़ने देता है.

CARA के घटते आंकड़े

केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण यानी (CARA) के आंकड़े के अनुसार वर्ष 2010 में देश में 5,693 बच्चों को गोद लिया गया था, जबकि वर्ष 2017-2018 में यह संख्या घटकर 3,276 हो गई. Indian Society of Assisted Reproduction की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश भर में सिर्फ 20,000 लोगों ने बच्चा गोद लेने के लिए आवेदन कर रखा था, जबकि उसी समय देश भर में 2 करोड़ 75 लाख जोड़े इन्फर्टिलिटी की समस्या से जूझ रहे थे.

बच्चा गोद लेने के लिए मां-बाप को इन योग्यताओं को पूरा करना ज़रूरी

बच्चा गोद लेने के नियमों के मुताबिक में बाप को कुछ योग्यताओं को पूरा करना जारी है, जैसे- संभावित मां-बाप शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आर्थिक दृष्टि से सक्षम हो. संभावित अभिभावकों को कोई जानलेवा बीमारी भी नहीं होनी चाहिए. कोई भी संभावित माता-पिता जिनकी अपनी कोई जैविक संतान हो या न हो, वे बच्चा गोद ले सकते हैं. बशर्ते कि अभिभावक शादीशुदा हैं तो उन दोनों की आपसी सहमति होना ज़रूरी है. संभावित मां-बाप अगर दो साल से ज़्यादा वक़्त से शादीशुदा हों, तभी वो बच्चा गोद ले सकते हैं.

एक सिंगल महिला किसी भी लिंग के बच्चे को गोद ले सकती है, जबकि एक सिंगल पुरुष सिर्फ़ लड़के को ही गोद ले सकता है. बच्चा गोद लेने के लिए मां-बाप की उम्र एक बेहद अहम होती है. कम उम्र के बच्चे को गोद लेने के लिए मां-बाप की औसत उम्र भी कम होनी चाहिए.

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