कोरोना वायरस संक्रमण का आम भारतीयों पर कितना पड़ा है असर ?

डॉ. निशा सिंह

देश में एक बड़ी आबादी को साफ़ पानी, हवा, ताजा खाना, स्वास्थ्यकर घर नसीब नहीं है. ऐसे वातावरण में रहने वाले लोगों को हृदय रोग, कैंसर, सांस संबंधी और मधुमेह जैसी बीमारियों के होने का ख़तरा अधिक होता है. केवल वायु प्रदूषण के कारण ही भारत में हर साल दस लाख से अधिक लोगों की मौत हो जाती है. WHO ने कहा है कि कोविड-19 से बचने के लिए साफ पानी, हवा, स्वच्छ माहौल आवश्यक है. यूनिसेफ़ के रिसर्च में सामने आया है कि दुनिया के लगभग तीन अरब लोग यानी 40% वैश्विक आबादी विकासशील देशों में है, जिनके पास बुनियादी सुविधा तक नहीं है. फिर तो भारत जैसे देशों में लाखों की संख्या में लोग मारे जाने की संभावना होना स्वाभाविक है.

भारत की आबादी दुनिया की कुल आबादी का छठा हिस्सा है और कोरोना संक्रमण के केस के मामले में भी देश छठे स्थान पर पहुंच गया है. इतना ही नही कोरोना संक्रमण से दुनिया में होने वाली मौतों में से दस प्रतिशत मौतें भारत में हुई हैं. हालांकि यहां फ़ैटेलिटी रेट यानी कोविड-19 रोगियों के मरने की दर सिर्फ़ दो प्रतिशत है, जो दुनिया में सबसे कम है.

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भारतीय वैज्ञानिकों ने एक नए रिसर्च के आधार पर दावा किया है कि साफ़-सफ़ाई की कमी, साफ़ पानी और हवा की कमी और अस्वच्छ परिस्थितियों में रहने के कारण यहां कोविड-19 से कई लोगों की ज़िंदगी बच गई है. इसका एक अर्थ है कि निम्न और निम्न-मध्यम आय वाले लोग बचपन से ही कई तरह के रोगजनकों के संपर्क में आते हैं और उनकी इम्युनिटी इतनी मज़बूत हो जाती है और इसी कारण से कोरोना वायरस का मुक़ाबला करने में ये लोग सक्षम हो गए हैं. डॉ. माण्डे तो यहां तक कहते हैं कि ग़रीब और कम आय वाले देशों में लोगों की रोध प्रतिरोधक क्षमता उच्च आय वाले देशों की तुलना में अधिक है.डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज के डॉ. प्रवीण कुमार और बाल चंदर का मानना है कि कोविड-19 के कारण हुई मौतें उन देशों में तुलनात्मक रूप से कम हैं जहां एक बड़ी आबादी अलग-अलग तरह के रोगाणुओं के संपर्क में आती रहती है.

वैज्ञानिकों का मानना है कि कुल मिलाकर कोरोना का सीधा संबंध व्यक्ति के हाइजीन से है. मैट रिशेल का मानना है कि हमारे आस-पास का वातावरण इतना साफ़ हो चुका है कि इसकी वजह से हमारी प्रतिरोधक क्षमता गंभीर बीमारियों से लड़ने के लिए प्रशिक्षित नहीं हो पाई है यानी साफ़-सफ़ाई पर बहुत ज़्यादा ध्यान देकर हम अपनी प्रतिरोधक क्षमता को बीमारियों से लड़ने के प्रशिक्षण से वंचित कर रहे हैं.

इस तरह से भारत की अधिकांश आबादी जो अस्वास्थ्यकर वातावरण में रहने को मजबूर है, उनकी इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत है और कोरोनावायरस का खतरा उन्हें कम है. दूसरी बड़ी चीज लगातार शारीरिक श्रम करनेवालों का फेफड़ा और आंतरिक सिस्टम मजबूत हो जाता है जिससे covid-19 होने के बाद भी इन पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है. यही कारण है कि भारत में दुनिया में सबसे कम केवल 2 फीसदी कोरोनावायरस संक्रमण के मरीजों की मौत हुई है.

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