न्यूज डेस्क
भारत में दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियाना की शुरुआत आज से हो गई है. प्रधानमंत्री मोदी ने वर्चुअल संबोधन के जरिए कोरोना वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत कर दी है. पीएम मोदी ने कहा कि सभी के वैक्सीनेशन का खर्च भारत सरकार उठाएगी. टीकाकरण अभियान का ट्रायल राज्य सरकार के सहयोग से देश के कोने-कोने में किए गए हैं. पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि कोरोना टीका विकसित करने के लिए वैज्ञानिकों ने कड़ी मेहनत की है और ऐसे ही दिन के लिए राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने कहा था कि मानव जब जोर लगाता है तो पत्थर पानी बन जाता है. यह टीका AIIMS डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया को भी लगाया गया है.
देश को कोरोना का टीका समर्पित करते हुए पीएम मोदी भावुक भी हो गए. पीएम ने कहा कि हमारे स्वास्थ्य कर्मी महीनों अपने परिवार से दूर रहे, कई कई दिन तक घर भी नहीं आए और इस दौरान सैकड़ों साथी ऐसे भी हैं, जो कभी लौटकर घर नहीं आ पाए. उन साथियों ने एक जीवन को बचाने के लिए अपने जीवन की आहुति दे दी, देश ऐसे बलिदानियों को हमेशा याद रखेगा और यही भारत की असली ताकत है. पहले चरण मेंं आज देशभर में 3,000 केन्द्रों पर 3 करोड़ ऐसे ही फ्रंटलाइन वर्कस को यह टीका लगाया जाएगा, जिनकी जान जोखिम में रहती है.
दोनों कोरोना वैक्सीन देश में तैयार हुई है
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा है कि आमतौर पर एक वैक्सीन बनाने में बरसों लग जाते हैं. लेकिन इतने कम समय में ही देश में एक नहीं, दो मेड इन इंडिया वैक्सीन तैयार हुई हैं. आज वैज्ञानिक, वैक्सीन रिसर्च से जुड़े लोग प्रशंसा के हकदार हैं, जो बीते महीनों से कोरोना के वैक्सीन बनाने में जुटे थे. जिस तरह लोगों ने धैर्य के साथ कोरोना का मुकाबला किया वैसे ही धैर्य वैक्सीनेशन के समय भी दिखाना है.
दूसरे चरण में 30 करोड़ लोगों का वैक्सीनेशन होगा
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इतिहास में इतने बड़े स्तर का टीकाकरण अभियान कभी नहीं चला है. यह अभियान कितना बड़ा है कि इसका अंदाजा पहले चरण से ही लगाया जा सकता है. विश्व के 100 से भी ज्यादा ऐसे देश हैं जिनकी जनसंख्या 3 करोड़ से भी कम है और भारत पहले चरण में ही तीन करोड़ लोगों का टीकाकरण कर रहा है. आगे दूसरे चरण में इस अभियान को 30 करोड़ तक ले जाना है. दूसरे चरण में बुजुर्ग और गंभीर बीमारियों वालों का टीकाकरण किया जाएगा.
यह अभियान भारत की क्षमता को दिखाता है
ये अभियान भारत के सामर्थ्य को दिखाता है. मैं देशवासियों को एक बात कहना चाहता हूं कि हमारे वैज्ञानिक जब वैक्सीन को लेकर आश्वस्त हुए तभी इसकी इमरजेंसी यूज की अनुमति दी गई. इसलिए देशवासियों को किसी भी तरह के प्रोपेगेंडा, अफवाहें और दुष्प्रचार से बचकर रहना है. भारत के वैक्सीन वैज्ञानिक, हमारा मेडिकल सिस्टम, भारत की प्रक्रिया की पूरे विश्व में बहुत विश्वसनीयता है. हमने ये विश्वास अपने ट्रैक रिकॉर्ड से हासिल किया है. भारत की क्षमता का उल्लेख करते हुए पीएम ने कहा कि भारत के बने जीवन रक्षक टीके दुनिया भर के करीब 60% बच्चों को लगाया जाता है. भारत की वैक्सीन ख्त वैज्ञानिक प्रक्रियाओं से होकर ही गुजरते हैं. भारत में बने वैक्सीन विदेशी वैक्सीन की तुलना में बहुत सस्ती हैं और इनका उपयोग भी आसान है. विदेश में बनी कुछ वैक्सीन ऐसी हैं जिसकी एक डोज 5,000 हजार रुपये तक में हैं और जिसे -70 डिग्री तापमान में फ्रीज में रखना होता है, जो मुश्किल होता है.
भारत की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए मोदी ने बताया कि जब भारत में कोरोना पहुंचा तब देश में कोरोना टेस्टिंग की एक ही लैब थी, लेकिन हमने अपने सामर्थ्य पर विश्वास रखा और आज 2300 से ज्यादा नेटवर्क हमारे पास है. 30 जनवरी को भारत में कोरोना का पहला मामला मिला, लेकिन इसके दो सप्ताह पहले ही भारत एक हाई लेवल कमेटी बना चुका था. 17 जनवरी, 2020 को भारत ने अपनी पहली एडवायजरी जारी कर दी थी. भारत दुनिया के उन पहले देशों में से था जिसने अपने एयरपोर्ट्स पर यात्रियों की स्क्रीनिंग शुरू कर दी थी. जनता कर्फ्यू तो कोरोना के खिलाफ हमारे समाज के संयम और अनुशासन का भी परीक्षण था, जिसमें हर देशवासी सफल हुआ. इस जनता कर्फ्यू ने देश को मनोवैज्ञानिक रूप से लॉकडाउन के लिए तैयार किया. पीएम ने कहा कि भारत ने कोरोना वायरस महामारी का जिस प्रकार से मुकाबला किया है उसका लोहा पूरी दुनिया मान रही हैं. केंद्र और राज्य सरकारों के साथ ही स्थानीय निकाय, हर सरकारी संस्थान, सामाजिक संस्थाएं कैसे एकजुट होकर शानदार काम कर सकते हैं, ये उदाहरण भारत ने दुनिया के सामने पेश किया है.
अंत में पीएम मोदी ने कहा कि देश को नया प्रण लेना होगा ‘दवाई भी, कड़ाई भी’. मतलब वैक्सीन आने के बाद भी मास्क और दो गज की दूरी अपनानी है.