दिल्ली: विशेष संवाददाता
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक कोरोना का अब तक का एक दिन में सबसे बड़ा आंकड़ा 4 लाख 14 हजार था लेकिन अब मामलो में तेजी से कमी आ रही है। 7 मई को पीक के बाद अब तक मामलो में 68 फीसदी की कमी आयी है। 66 फीसदी नए केस खासकर पांच राज्यो से हैं।देश मे 257 ऐसे जिले हैं जहां रोजाना 100 से ज्यादा केस आ रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक कोरोना की पहली डोज देने के मामले में भारत ने अमेरिका को भी पीछे छोड़ दिया है। भारत में कोरोना की पहली खुराक 17.2 करोड़ दी गयी है जबकि अमेरिका में 16.9 करोड़ है। 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगो की 43 फीसदी आबादी को पहली खुराक दी जा चुकी है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने किया सचेत -अगर ढिलाई बरती तो बिगड़ सकते हैं हालात
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने आगाह किया है कि कोरोना को लेकर अगर ढिलाई बरती गई तो हालात बिगड़ सकते हैं।स्वाथय मन्त्रालय के मुताबिक अगर कोरोना के अनुरूप व्यवहार,कंटेन्मेंट मानकों या फिर टीका देने की रफ़्तार में अगर कमी आयी या फिर किसी तरह की ढिलाई बरती गई तो हालात फिर बिगड़ सकते हैं।स्वास्थ्य मंत्रालय ने किया सचेत, कोरोना को लेकर अगर ढिलाई बरती तो हालात बिगड़ सकते हैं। अगर कोरोना के अनुरूप व्यवहार,कंटेन्मेंट मानकों या फिर टीका देने की रफ़्तार में अगर कमी आयी या फिर किसी तरह की ढिलाई बरती गई तो हालात फिर बिगड़ सकते हैं।
वैक्सीन मैन्युफैक्चर्स को लीगली छूट पर केंद्र सरकार कर रही है विचार
नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी. के. पॉल ने कहा कि भारत के कोविड वैक्सीन मैन्युफैक्चर्रस ने लीगली छूट की मांग की है। इस मसले को सरकार देख रही है। अभी इसमें फैसला नहीं हुआ है। फाइजर के बारे में उन्होंने कहा कि अभी बात चल रही है। उन्होंने कहा कि फाइजर ने जो छूट मांगी है उसी छूट के साथ वो दुनिया के अलग अलग देशों में वैक्सीन सप्लाई कर रही है। हमने डब्लूएचओ से भी चेक किया है। अभी कोई फैसला नहीं हुआ है।
कोवैक्सीन,जाइड्स समेत बच्चों को कोरोना वैक्सीन के लिए कई ऑप्शन हैं
कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के ज्यादा प्रभावित होने की आशंका के बीच केंद्र सरकार ने कहा कि बच्चों को वैक्सीन के लिए कई ऑप्शन हैं और बच्चों की संख्या और उसके लिए जरूरी वैक्सीन को ध्यान में रखते हुए ही कोई नीति बनाई जाएगी। नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी. के. पॉल ने कहा कि देश में 12 से 18 साल के बच्चों की संख्या करीब 13-14 करोड़ है। इसका मतलब है कि बच्चों को वैक्सीन के लिए 25-26 करोड़ डोज चाहिए होंगी। हमें कोई भी नीति बनाते वक्त इसका ध्यान रखना होगा। उन्होंने कहा कि कोवैक्सीन बच्चों पर ट्रायल कर रही है और इसमें लंबा वक्त नहीं लगेगा क्योंकि उनका पहले ही इम्युनोजेनेसिटी ट्रायल हो गया है।
जाइडस वैक्सीन भी बच्चों पर टेस्ट कर चुकी है। अगर जाइडस यहां लाइसेंस के लिए आती है तो हम उस पर विचार करेंगे। उम्मीद है कि जाइडस अगले दो हफ्तों में लाइसेंस के लिए अप्लाई करेगी। डॉ. पाल ने कहा कि ये मसला सरकार के ध्यान में है और कोई भी फैसला लेने से पहले ये भी ध्यान में रखना होगा कि कितनों को कवर करना है यानी कितनी वैक्सीन की जरूरत है। क्योंकि कुछ को वैक्सीन मिल जाए और कुछ को नहीं, ऐसा नहीं किया जा सकता।