पटना : वरिष्ठ संवाददाता
बिहार उपचुनाव में दोनों विधान सभा सीट (तारापुर और कुशेश्वर स्थान) में कांग्रेस की करारी हार पर पूर्व-अध्यक्ष अनिल शर्मा ने कहा कि बिहार में कांग्रेस पूर्व की भाँति एक बार फिर लालू प्रसाद की राजनीतिक चालबाजी की शिकार हुई है. कांग्रेस महागठबंधन में उपचुनाव लड़ने की तैय्यारी कर रही थी, किन्तु 2009 के लोकसभा चुनाव के जैसा राजद ने एकतरफा नामांकन के चन्द दिन पहले गठबंधन तोड़ दिया.
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बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अनिल शर्मा ने कहा कि बिहार के उपचुनाव में मुस्लिमों के कांग्रेस की तरफ बढ़ते झुकाव को देख श्री लालू प्रसाद ने सोनिया गाँधी से हुई बात का हवाला देकर मुस्लिम मतदाताओं को भ्रमित किया. मतदान के एक दिन पहले भी सोनिया जी से प्रतिपक्षी दलों की दिसम्बर में बैठक बुलाने की बात का मीडिया में चर्चा किया.
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अनिल शर्मा ने कहा कि सोनिया जी से बातचीत का शिगूफा छोड़ने के बावजूद जब राजद नेतृत्व को काँग्रेस के बढ़ते मजबूत समर्थन की पक्की खबर मिलने लगी तो टेलीविजन की खबर का फोटोशॉपिंग कराकर राजद के पक्ष में कांग्रेस उम्मीदवारों को बैठने का दुष्प्रचार कराया, मगर इन कुचक्रों के बावजूद राजद भी चुनाव हार गया.
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तेजस्वी, कन्हैया, हार्दिक, जिग्नेश की चुनावी सभाओं पर भारी पड़ी नीतीश कुमार की रणनीति
लालू प्रसाद यादव ने दो जनसभाएं कीं, जबकि तेजस्वी यादव ने 40 से अधिक नुक्कड़ सभाएं की. यही नहीं, तेजस्वी यादव चुनाव प्रचार के चलते पटना में विधानसभा भवन के शताब्दी समारोह में राष्ट्रपति के कार्यक्रम में भी शामिल नहीं हुए. पार्टी प्रमुख लालू प्रसाद ने एक दिन कुशेश्वरस्थान व तारापुर में जनसभाएं की. वहीं, तेजस्वी यादव ने तीन-तीन दिन दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में अकेले और एक दिन लालू प्रसाद के साथ चुनाव क्षेत्रों में गए और जनसभाओं में शामिल हुए. कांग्रेस ने कन्हैया , हार्दिक पटेल और जिग्नेश को चुनाव प्रचार में उतारा, मगर सब फेल हो गए. दोनों सीटों पर कांग्रेस को मात्र पांच हजार वोट मिला. मुस्लिम वोट बैंक राजद के पास रहा.