दिल्ली: वरिष्ठ संवाददाता
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि 2021 के जनगणना में ओ.बी.सी यानी अन्य पिछड़ा वर्ग की पहचान नहीं की जा सकती है. कोर्ट को इस बाबत सरकार को कोई आदेश नहीं देना चाहिए, क्योंकि ये सरकार का नीतिगत फैसला है. केंद्र सरकार का कहना है कि सेन्सस में अन्य पिछड़ा वर्ग की पहचान करना संभव नहीं है. जनगणना में सही आंकड़े नहीं आ पाएंगे. सरकार के मुताबिक इसकी वजह ये है कि ओ.बी.सी में कई ऐसी जातियां हैं जिनकी पहचान सही तरीके से नहीं हुई है, और उन जातियों को किस कैटेगरी में रखना है ये तय नहीं हुआ है. इसलिए आंकड़े सही नहीं आयेंगे. सरकार का ये हलफनामा महाराष्ट्र सरकार की याचिका के जवाब में आया. महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र सरकार से अन्य पिछड़ा वर्ग के आंकड़े मांगे हैं. अब इस मामले में चार हफ्तों के बाद सुनवाई होगी.
अगस्त में संसद सत्र के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि जातिगत जनगणना का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है. केंद्र सरकार ने राज्यसभा में एक लिखित प्रश्न के जवाब में यह जानकारी दी. संसद के मॉनसून सत्र के दौरान सांसद विशंभर प्रसाद निषाद की ओर से पूछे गए सवाल पर केंद्रीय सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण मंत्री वीरेंद्र कुमार ने कहा कि जनगणना में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (SC और ST) के बारे में जानकारी होती है. सरकार अभी जाति के आधार पर जनगणना के बारे में कोई विचार नहीं कर रही है.
बिहार के सीएम नीतीश कुमार, विपक्ष ने नेता तेजस्वी यादव समेत 11 पार्टी का डेलिगेशन पीएम मोदी से भी मिला था और जातिगत जनगणना करने का आग्रह भी कर चुका है. इधर यूपी चुनाव की सरगर्मी के बीच समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जाति आधार पर जनगणना की मांग की है. यानी जातिगत जनगणना की में पार्टियां अपने नफे और नुकसान को देखकर कर रही है.