बिहार में सात जनवरी से शुरू होगा जातीय जनगणना, बिहार सरकार वहन करेगी सारा खर्च

डॉ. निशा सिंह

बिहार में कल यानी सात जनवरी से आखिरकार जातिगत जनगणना का काम शुरू होने जा ही रहा है. नीतीश सरकार के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार में जातिगत जनगणना का काम शुरू हो रहा है. इस जनगणना का पूरा काम दो चरणों में होगा. पहले चरण में घरों की गिनती होगी, जबकि दूसरे चरण में जातियों को गिना जाएगा. केंद्र द्वारा जाति आधारित जनगणना कराए जाने से इन्कार के बाद बिहार की सरकार इसे अपने खर्च पर करा रही है. इस पर बिहार सरकार के 500 करोड़ रुपए खर्च होंगे. नीतीश कुमार ने कहा कि अगर पूरे देश में जातिगत जनगणना होती तो अच्छा रहता.

बिहार में जातिगत जनगणना में पहले चरण में आवासीय मकानों की गिनती की शुरुआत पटना से होगी, जहां अधिकारियों, विधायकों और मंत्रियों के आवास हैं. बता दें कि सात जनवरी 2023 से प्रारंभ होने वाले जातीय गणना के पहले चरण में प्रत्येक मकान में नंबर डाला जाएगा.

जातिगत जनगणना पर होने वाले खर्च का वहन बिहार सरकार करेगी

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी ‘समाधान यात्रा’ के दौरान आज शिवहर में कहा कि इस जनगणना के दौरान केवल जातियों की गणना नहीं, बल्कि राज्य के हर परिवार के बारे में पूरी जानकारी मिलेगी. उससे देश के विकास और समाज के उत्थान में बहुत फ़ायदा मिलेगा और इसपर आने वाले खर्च का वहन भी राज्य सरकार ही करेगी. दरअसल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बृहस्पतिवार को पश्चिम चंपारण जिले से अपनी ‘समाधान यात्रा’ की शुरुआत की है. वह पांच से 29 जनवरी तक अपनी यात्रा के दौरान सरकारी परियोजनाओं की समीक्षा करेंगे और संबंधित लोगों से बातचीत भी करेंगे.

केन्द्र सरकार ने जातिगत जनगणना कराने से किया था इनकार

गौरतलब है कि नीतीश कुमार लंबे समय से जाति आधारित जनगणना कराने की मांग करते रहे हैं. राजद, कांग्रेस सहित अन्य सभी विपक्षी दल इस मुद्दे पर नीतीश के साथ हैं. तीन साल पहले बिहार विधानसभा में गुरुवार को जाति आधारित जनगणना कराने के लिए प्रस्ताव पारित किया गया था, जिसमें केंद्र सरकार से मांग की गई थी कि 2021 की जनगणना जाति आधारित हो. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जाति आधारित जनगणना कराने की मांग पर राजद, कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल साथ हैं और अभी महागठबंधन की सरकार चल रही है.

बिहार में है कुल 204 जातियां

वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक बिहार की जनसंख्या 10.38 करोड़ है. इसमें 82.69% आबादी हिंदू और 16.87% आबादी मुस्लिम समुदाय की है. इस हिंदू आबादी में 17% सवर्ण, 51% ओबीसी, 15.7% अनुसूचित जाति और करीब 1 फीसदी अनुसूचित जनजाति है. मोटे-मोटे तौर पर यह कहा जाता है कि बिहार में 14.4% यादव समुदाय, कुशवाहा यानी कोइरी 6.4%, कुर्मी 4% हैं. सवर्णों में भूमिहार 4.7%, ब्राह्मण 5.7%, राजपूत 5.2% और कायस्थ 1.5% हैं.

1931 के बाद से जाति आधारित जनगणना नहीं हुई: नीतीश

गौरतलब है कि पिछले साल जनवरी में एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था, “किस जाति के लोगों की संख्या कितनी है, यह मालूम होना चाहिए. देश में आबादी के अनुरूप आरक्षण का प्रावधान हो. 1931 के बाद देश में जाति आधारित जनगणना नहीं हुई. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और धर्म के आधार पर जनगणना हुई है. इसी तर्ज पर 2021 में सभी जातियों की जनगणना होनी चाहिए”. इसके लिए बिहार विधानसभा में 18 फरवरी 2019 को 2021 में जाति आधारित जनगणना कराए जाने का प्रस्ताव पारित किया गया था. आपको बता दें कि नीतीश कुमार ने सबसे पहले 1990 में जाति आधारित जनगणना कराने की मांग की थी, उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह को इसके लिए पत्र भी लिखा था.

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