कर्नाटक में 1965 में भैंस चोरी का एक मामला दर्ज हुआ था, उसके 58 साल बाद पुलिस ने एक चोर को पकड़ा है, जबकि दूसरे आरोपी को पुलिस नहीं पकड़ सकती है, क्योंकि उसकी मौत 2006 में ही हो गयी है.
कर्नाटक में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. जहां हर दिन नये अपराध हो रहे हैं और पुलिस उसे सुलझाने का दावा करती रहती है, वहीं एक भैंस चोरी के मामले ने प्रशासन, अदालत और पुलिस की पोल खोलकर रख दी है. कर्नाटक पुलिस ने 58 साल बाद एक चोर को पकड़ा है जिसने 1965 में एक भैंस चोरी की थी. गिरफ्तार व्यक्ति का नाम गणपति विट्टल वागोर, जिसने 20 वर्ष की उम्र में चोरी की थी, लेकिन 78 साल की उम्र में उसकी गिरफ्तारी हुई है. इस मामले में एक अन्य आरोपी किशन चंदर की 11 अप्रैल 2006 में मौत हो गई.
इस केस ने लोगों को विस्मित कर दिया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि देर से ही सही न्याय मिलता जरूर है और कानून के हाथ लंबे होते हैं, कभी-न-कभी अपराधी पकड़ा जरूर जाता है. दूसरी तरफ कुछ लोगों ने पुलिस और अदालत पर उंगली उठाते हुए कहा कि बचपन के अपराध के लिए बुढ़ापे में सजा देना कहां से सही है. पुलिस को अपनी कार्रवाई तेजी से करनी चाहिए थी. इतनी देर से गिरफ्तारी का क्या अर्थ है, जब आरोपी और आरोप लगाने वालों में से कुछ की मौत हो चुकी है और कुछ वृद्ध हैं.
क्या है भैंस चोरी का पूरा मामला ?
मुरलीधरराव माणिकराव नामक व्यक्ति ने 25 अप्रैल 1965 को दो भैंस और एक बछड़े की चोरी के संबंध में मेहकर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी. हालांकि पुलिस ने 1965 में महाराष्ट्र के उदयगीर निवासी किशन चंदर और गणपति विट्ठल वागोर को गिरफ्तार भी किया था, लेकिन जमानत मिलने के बाद आरोपी गायब हो गया और अदालती कार्यवाही में भी शामिल नहीं हुआ. अब 58 साल बाद पुलिस ने दोबारा आरोपी को पकड़ा है.
शार्प वे न्यूज नेटवर्क