मुन्ना शर्मा
बिहार में आज बीजेपी और जेडीयू के बड़े नेताओं की बंद कमरे में मुलाकात के बाद ऑल इज वेल होता नजर आ रहा है. आज बीजेपी के बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल के साथ जेडीयू कार्यालय में जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह से मिलने गये. बंद कमरे में तीनों नेताओं के बीच मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर गहन चर्चा हुई. आज पटना में जहां तीनों नेताओं की मीटिंग हो रही थी, वहीं सीएम नीतिश कुमार पूर्णियां के दौरे पर थे. इस मुलाकात के बाद भूपेंद्र यादव ने कहा कि समय आने पर मंत्रिमंडल विस्तार हो जाएगा. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विस्तार मकर-संक्राति यानी 14 जनवरी के बाद होगा, तबतक इसपर गहन विचार-विमर्श चलता रहेगा.
बिहार में पिछले कुछ दिनों से दोनों दलों के बीच दूरियां बढती ही जा रही थीं. अरुणाचल प्रदेश में जेडीयू के 7 में से 6 नेताओं के बीजेपी में शामिल होने के बाद यह दूरी और बढ़ गयी थी. बिहार NDA में बड़े भाई बीजेपी की उपेक्षा से तंग आकर नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह को पार्टी अध्यक्ष की कुर्सी सौंप दी थी. तब माना जा रहा था कि नीतीश को बीजेपी भाव नहीं दे रही है और दोनों के बीच संवाद में परेशानी हो रही है. दोनों के बीच की ये दूरियां इतनी बढ़ने लगी कि नौबत सियासी संकट तक पहुंच गया था. लेकिन इस मीटिंग के बाद सब ठीक होता नजर आ रहा है. आज बीजेपी और जेडीयू के बड़े नेता सरकार बननेे के बाद पहली बार एक साथ बैठे और मीटिंग के दौरान बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार, परिषद चुनाव से लेकर केंद्रीय मंत्रिमंडल में जेडीयू के शामिल होने तक पर बंद कमरे में विस्तार से चर्चा हुई. अब लगता है दोनो दलों के बीच सबकुछ ठीक कर लिया गया है.
हालांकि कुछ दिन पहले भी सीएम नीतीश कुमार ने कहा था कि राज्य में कोई सियासी संकट नही है. अब दोनों दलों के बीच राज्य और केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार के अलावा दो सीटों पर होने वाले परिषद चुनाव पर भी चर्चा हो रही है. इधर जीतन राम मांझी ने बिहार मंत्रिमंडल में एक और मंन्त्री पद और एक विधान परिषद की सीट पर दावा ठोंक कर गठबंधन की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. जीतन राम मांझी की इस मांग पर जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने कहा कि गठबंधन के सभी शीर्ष नेता आपस में बात करके इसपर फैसला लेंगे. इधर कयास लगाया जा रहा है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल के संभावित विस्तार में इस बार जेडीयू भी शामिल हो सकती है.
इधर राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि बिहार में विधान परिषद की दो सीटों पर 28 जनवरी को चुनाव होना है, जो दोनों सीटें बीजेपी के कोटे की हैं, बीजेपी अपने सहयोगी पार्टियों को देने जा रही है. ये दोनों सीटें सुशील मोदी के सांसद और विनोद झा के विधायक बनने के बाद खाली हुई हैं. ये दोनों सीटें जेडीयू के अशोक चौधरी और वीआईपी के मुकेश साहनी को दिये जाने की संभावना है,क्योकि ये दोनों मंन्त्री तो बने हैं लेकिन किसी भी सदन के अभी सदस्य नही हैं. यानी इन दोनों मंत्रियों को पद पर बनाये रखने के लिए बीजेपी पहल करके सीटें दे सकती है.