सावधान : कोरोना के बाद अब भारत में बर्ड फ्लू का खतरा बढ़ा

न्यूज डेस्क

कोरोना वायरस के बाद भारत में बर्ड फ्लू का खतरा बढ़ गया है. चिंता की बात है कि दोनों ही बीमारियों के लक्षण काफी हद तक एक-दूसरे से मिलते-जुलते हैं. राजस्थान, केरल और मध्य प्रदेश के बाद हिमाचल प्रदेश में भी बर्ड फ्लू के मामले सामने आए हैं. अब हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के पोंग बांध झील क्षेत्र में मृत पाए गए कुछ प्रवासी पक्षियों में भी ‘बर्ड फ्लू’ की पुष्टि हुई है. राजस्थान के विभिन्न जिलों में सोमवार को 170 से अधिक पक्षियों की मौत के मामले सामने आए हैं. इसकी रोकथाम के लिए केरल के कोट्टायम और अलप्पुझा जिले में 40,000 पक्षियों को मारने का आदेश दे दिया गया है. बर्ड फ्लू संक्रामक बीमारी है और जो H5N8 वायरस के कारण पक्षियों के श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है, जिससे मानव भी संक्रमित हो सकते हैं.

राजस्थान में बर्ड फ्लू की स्थिति

राजस्थान के पशुपालन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अब तक 425 से अधिक कौवों, बगुलों और अन्य पक्षियों की मौत हो चुकी है. झालावाड़ जिले के पक्षियों के नमूनों को जांच के लिये भोपाल के राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान भेजा गया था, जिसमें बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है. हालांकि अन्य जिलों के पक्षियों के नमूनों की जांच के परिणाम अब तक नहीं मिले हैं, यानी यह आंकड़ा बढ़ने वाला है. संक्रमण को रोकने के लिए राजस्थान के झालावाड़ में तो धारा-144 लागू करनी पड़ी है.

केरल में बर्ड फ्लू की स्थिति

राजस्थान में H5N8 वायरस का प्रसार रोकने के लिए 40,000 पक्षियों को मारने का आदेश दे दिया गया है.
केरल के कोट्टायम और अलप्पुझा जिलों के कुछ हिस्सों में बर्ड फ्लू की जानकारी सामने आने के बाद प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्रों में और उसके आसपास एक किलोमीटर के दायरे में बत्तख, मुर्गियों और अन्य घरेलू पक्षियों को मारने का आदेश दिया है. H5N8 वायरस के प्रसार को रोकने के लिए करीब 40,000 पक्षियों को मारा जाएगा. कोट्टायम के निंदूर में एक बत्तख पालन केंद्र में बर्ड फ्लू पाया गया है, जहां 1,500 बत्तख अब तक मर चुकी हैं.

जहां पिछले साल जनवरी के अंत तक एक लाख से ज्यादा प्रवासी पक्षी यहां आए थे, वहीं इस साल अब तक 50,000 से ज्यादा पक्षी आ चुके हैं. बर्ड फ्लू के लिए निर्धारित निर्देशों के तहत मृत पक्षियों का निपटान कर दिया गया है. हालांकि राज्य में अन्य जलाशयों से पक्षियों की मौत की सूचना अभी नहीं मिली है. फिर भी सावधानी के तौर पर राज्य में वन्य जीव, पशुपालन विभाग के कर्मचारियों को अलर्ट रहने को कहा गया है. हालात काबू में होने के बावजूद प्रशासन ने जिलों में हाई अलर्ट जारी कर दिया है, क्योंकि यह वायरस मनुष्य को भी संक्रमित करने की क्षमता रखता है. गौरतलब है कि वर्ष 2016 में राज्य में बड़े पैमाने पर बर्ड फ्लू फैला था.

हिमाचल प्रदेश में बर्ड फ्लू की स्थिति

हिमाचल प्रदेश में पोंग बांध झील अभयारण्य में अब तक लगभग 1800 प्रवासी पक्षी मर चुके हैं. बरेली में भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान में मृत पक्षियों के नमूनों की जांच रिपोर्ट में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है. हिमाचल प्रदेश का वन्य जीव व पशुपालन विभाग भोपाल स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हाई सिक्योरिटी एनिमल डीजीज से इसकी पुष्टि का इंतजार कर रहा है, क्योंकि इस बीमारी की जांच के लिये यह नोडल इकाई है. हालांकि जालंधर में उत्तरी क्षेत्र बीमारी जांच प्रयोगशाला ने भी पक्षियों के नमूनों में फ्लू की आशंका व्यक्त की है.

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में अंडे, मांस, चिकन आदि की बिक्री पर रोक लगा दी गई है. कांगड़ा के जिलाधिकारी राकेश प्रजापति ने कहा कि जिले के फतेहपुर, देहरा, जवाली और इंदौरा उप मंडल में मुर्गी, बत्तख तथा हर प्रजाति की मछली और उससे संबंधित उत्पादों जैसे अंडे, मांस, चिकन आदि की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है.

दरअसल कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रसार के बाद केंद्र और राज्य सरकारें किसी तरह का खतरा नहीं लेना चाह रही हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि एक बार वायरस के प्रसार हो जाने और मानव शरीर को संक्रमित करने की क्षमता विकसित हो जाने के बाद इसे नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है. इस वजह से प्रभावित राज्य बर्ड फ्लू के प्रसार को रोकने के लिए बर्डस को मारने से लेकर प्रभावित क्षेत्र के प्रोडक्ट्स तक पर प्रतिबंध लगा रही है. भोपाल स्थित लैब में राजस्थान, केरल, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश राज्यों के पक्षियों में H5N8 वायरस की पुष्टि हो चुकी है, लेकिन मुर्गियों में H5N1 वायरस की अभी कोई पुष्टि नहीं हुई है.

Jetline

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