डॉ. निशा सिंह
बॉलीवुड की फिल्मों से लेकर टीवी और समाचारपत्रों में बिहार की जो तस्वीर दिखाई जाती है, उसमें जातीय संघर्ष, शोषण, आपसी विद्वेष देखने को मिलता है. गंगाजल, शूल, तीसरी कसम जैसी बॉलीवुड की फिल्मों को कौन भूल सकता है. अजय देवगन अभिनीत गंगाजल फिल्म को देखकर तो ऐसा लगता है कि पूरा बिहार ही अपराध और झगड़े में पड़ा रहता है, लेकिन यह बिहार की सही तस्वीर नहीं है. इसी बिहार में एक ऐसा भी अनोखा गांव है, जहां आज तक न कोई थाना गया है, ना ही कोई केस दर्ज हुआ है.
देश की आजादी के बाद ही नहीं, बल्कि आजादी बिहार के पहले भी इस गांव में थाने में कोई मामला दर्ज नहीं हुआ है, क्योंकि यहां आज तक कोई भी आपराधिक घटना हुई ही नहीं हैं. यह अनोखा गांव बिहार के कैमूर जिले के मोहनिया प्रखंड के अमेठी पंचायत का सरैया गांव है. आज तक इस गांव में FIR तो छोड़ दीजिए कोई सनहा तक दर्ज नहीं हुआ है. यानी अब तक सरैया गांव के नाम पर कोर्ट में कोई केस दर्ज नहीं हुआ है. यह गांव न सिर्फ जिले के लिए बल्कि बिहार के साथ-साथ देश के लिए भी मिसाल का कायम है.
इतनी है बिहार के अनोखे सरैया गांव की आबादी
बिहार के अनोखे सरैया गांव की आबादी आजादी से लेकर अभी तक लगभग 700 से 800 तक है. इस गांव में लगभग 75 परिवार रहते हैं. गांव ग्वाल वंश यादव के नाम से प्रसिद्ध है, क्योंकि इनकी आबादी इस गांव में ज्यादा है. गांव के लोगों में गजब की एकजुटता है. यहां के लोग शांतिप्रिय और संतोषी प्रवृति के है, इस वजह से इस गांव में आज तक न तो चोरी हुई है न ही कोई अपराधिक घटना. गांव के बुजुर्गों का कहना है कि उनकी कई पीढ़ियों ने इस तरह शांति बनाए रखा है.
ऐसे होता है कोर्ट के बाहर विवादों का समाधान
बिहार के अनोखे सरैया गांव में अगर आपस में कोई छोटा-मोटा विवाद होता भी है तो ग्रामीण आपस में पंचायत कर सुलझा लेते हैं. इस तरह कोर्ट, कचहरी, थाने तक मामला पहुंचता ही नहीं है. पंचायत के फैसले का गांव में बहुत सम्मान होता है और पंच सभी पहलुओं पर विचार का निष्पक्ष फैसला देते हैं, जिसके आगे लोगों को जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती है.