डॉ. निशा कुमारी
इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव में नेताओं के साथ-साथ बाहुबलियों का वंश भी फलता-फूलता दिख रहा है. नेताओं के साथ ही बाहुबलियों के नाते-रिश्तेदारों को भी टिकट देकर मैदान में उतारा गया है. किसी एक पार्टी या गठबंधन में ही नहीं बल्कि सभी में इनको इंट्री मिली है. बिहार की जनता ने भी अतीत में इन बाहुबलियों को जाति, धर्म, स्थान, आदि के आधार पर खूब स्वीकार भी किया था.
हालांकि आगे चलकर जनता का इनसे मोह भी भंग हुआ और कुछ बाहुबलियों व उनके परिजनों को मैदान में धूल चटा दी. कुछ बाहुबली सलाखों के पीछे अपने किए-कराए की सजा काट रहे हैं. चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाली संस्था एडीआर के आंकड़ों के अनुसार 16वीं विधानसभा में 243 में से 136 विधायकों यानि 57 फीसद पर आपराधिक मामले हैं, जिसमें 39 प्रतिशत पर गंभीर मामले हैं, जबकि 11 विधायकों पर हत्या के केस है.
राजद ने निवर्तमान विधायक डॉ. सुरेंद्र यादव को बेलागंज से प्रत्याशी बनाया है. महाराजगंज के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह अभी हजारीबाग जेल में हैं तो उनके पुत्र रणधीर टिकट दिया गया है. नवादा से राजबल्लभ की पत्नी विभा देवी, मोकामा से अनंत सिंह, दानापुर से रीतलाल यादव, सहरसा से आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद, संदेश से अरुण यादव की पत्नी किरण देवी और महनार से रामा सिंह की पत्नी वीणा देवी इस बार मैदान में हैं.
इसी तरह से जदयू ने गया जिले के अतरी से मनोरमा देवी, चेरिया बरियारपुर से मंजू वर्मा, कुचायकोट से अमरेंद्र पांडेय, तारापुर से मेवालाल चौधरी को मैदान में उतारा है. कांग्रेस ने कुचायकोट से काली पांडेय को मैदान में उतारा है, वहीं भाजपा ने सिवान से शहाबुद्दीन के खिलाफ ओम प्रकाश यादव को टिकट दिया है.