बिहार का सियासी खेल : क्या वाकई बिहार में कांग्रेस टूट रही है ?

डॉ. निशा सिंह

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 का रिजल्ट के बाद से ही राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गयी है. इस बार छोटे भाई बनकर मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार बीजेपी के दबाब में काम कर रहे हैं. दबाब को हटाने के लिए अपने हर नुस्खे को आजमा रहे हैं. अब खबर आ रही कि कांग्रेस टूट रही है. अगर टूट हुई तो फिर ये कांग्रेस विधायक कहा जायेगें. बीजेपी ने जद यू को अरुणाचल में तोड़ा. अब बीजेपी और जद यू दोनों पार्टी कांग्रेस के विधायकों को अपने पाले में लाने की कोशिश में जुटे हैं. माना जा रहा है कि अशोक चौधरी एक बार फिर कांग्रेस तोड़ने के लिए सक्रिय हैं और इसीलिए मंत्रिमंडल का विस्तार रुका हुआ है.

कांग्रेस के नेता भारत सिंह ने ये कहकर सनसनी फैला दी है कि बिहार कांग्रेस के करीब दर्जन भर विधायक पार्टी छोड़कर एनडीए में जाने वाले हैं. भरत सिंह ने ये भी दावा किया है कि जिस तरह पहले अशोक चौधरी ने अध्यक्ष रहते हुए पार्टी को तोडने का काम किया था ठीक उसी प्रकार वर्तमान में मदन मोहन झा और इसकी टीम कर रहे हैं. कांग्रेस को तोड़कर ये लोग अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं.

कांग्रेस नेता भरत सिंह ने सनसनीखेज बयान दिया और कहा है कि कांग्रेस के 11 विधायकों ने टूटने का मन बना लिया है. इसमें कांग्रेस विधायक दल नेता अजित शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा भी शामिल हैं. मदन मोहन झा अशोक चौधरी के रास्ते पर जा रहे हैं. जिस तरह से अशोक चौधरी ने पार्टी अध्यक्ष रहने के बाद कुछ MLC को लेकर JDU में चले गए थे, उसी तरह मदन मोहन झा की मनसा मंत्री बनने की है. भरत सिंह ने कहा कि कांग्रेस के 11 विधायक पैसे देकर टिकट लिया और जीते है. सभी विधायक एनडीए में जल्द शामिल होंगे. कांग्रेस के इन नेताओं की टोली ने बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल के खिलाफ अभियान चला रखा था. गोहिल कि जगह पर अब ओडिशा के भक्त चरण दास को बिहार कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया है.
बिहार कांग्रेस अभी तक लालू यादव की वैशाखी के सहारे रहती आयी है. 1999 के बाद कांग्रेस पूरी तरह हाशिये पर चली गयी.

जदयू के नेता हर दूसरे दिन दावा कर रहे हैं कि राजद और कांग्रेस के कई विधायक उनके संपर्क में हैं और दल बदलने के लिए तैयार हैं. इस बीच चर्चा है कि कांग्रेस को अपने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी से ज्यादा खतरा है. चौधरी के प्रदेश अध्यक्ष रहते कांग्रेस ने बिहार में 27 सीटें जीती थीं. इस बार कांग्रेस के 19 विधायक हैं. तब जदयू, राजद और कांग्रेस ने मिलकर नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार बनाई थी. चौधरी उस सरकार में मंत्री बने और तभी से वो नीतीश कुमार के होकर रह गए. बाद में जब नीतीश ने गठबंधन से अलग होकर भाजपा के साथ सरकार बनाई, तो अशोक चौधरी भी कांग्रेस छोड़ कर जदयू में शामिल हो गए. चौधरी फिलहाल शिक्षामंत्री के साथ-साथ जदयू के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष भी हैं. सूत्रों का कहना है कि पुराने संबंधों के चलते कांग्रेस के कई लोग अब भी उनके संपर्क में हैं.

बिहार विधानसभा में कांग्रेस के जीते हुए 19 विधायक हैं और टूटने के लिये 13 सदस्य होने चाहिए. अगर भारत सिंह के दावे पर काम हो गया तो भी दो और विधायक को टूटना पड़ेगा. मगर राजनीतिक पंडितों का मानना है कि अधिकांश विधायक खांटी कांग्रेस परिवार से हैं इसलिए टूटने की संभावनाएं नहीं के बराबर है. फिर भी सियासी खेल में कोई अंकगणित कब काम कर जाय ये कह पाना मुश्किल हैं. कांग्रेस के इस खेल में बताया जा रहा है कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष और दुबारा पार्टी में लौटे तारिक अनवर की भी भूमिका हो सकती है. सोनियां गाँधी के विदेशी होने का मुद्दा बनाकर कांग्रेस छोड़कर शरद पवार के साथ जाने वाले अब तारिक अनवर एक बार फिर बिहार का कांग्रेस अध्यक्ष बनना चाहते हैं. लेकिन पार्टी के अधिकांश नेताओं और कार्यकर्ताओं में पहुंच रहे इस खबर से आक्रोश फ़ैल रहा है. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि अगर तारिक को अध्यक्ष बनाया गया तो फिर कांग्रेस और हाशिये पर चली जाएगी.

भारत सिंह का मानना है बिहार में कांग्रेस में वैसे लोग आ गए है जिनको इस पार्टी का कल्चर पता नहीं है. ये लोग पार्टी में आ गया और पैसा लेकर टिकट लोगों को दिया है, उसी में 11 लोग ऐसे है जो दूसरे जगह से आये हैं वो अपना रास्ता देख रहे हैं. आपने सुना भी होगा कि जेडीयू के लोग बोल रहे है कि उनके संपर्क में है. अध्यक्ष मदन मोहन झा भी वैसे ही हैं, ना कभी मीटिंग ना कभी लोगों से मिलते हैं, तो पार्टी का क्या होगा. कांग्रेस को आरजेडी से अलग हो जाना चाहिए, वो पहले हमारे पीछे रहती थी अब हम उनके गेट पर खड़े रहते हैं. मदन मोहन झा ने पार्टी ऑफिस सदाकत आश्रम को बेच दिया है.

बिहार में कांग्रेस नेता के दावे पर जेडीयू क्या कहती है ?

बिहार में कांग्रेस पार्टी को जो स्थिति है, उससे वाकिफ हैं. कांग्रेस का बिहार प्रभारी अपना पद त्याग चुके हैं और पार्टी के विधायकों में भयंकर असंतोष है. खुद की इच्छा से वह कांग्रेस पार्टी छोड़ते हैं तो यह उनके निर्णय पर निर्भर करता है और ऐसा कोई घटनाक्रम होता है तो हम स्वागत करते हैं. कांग्रेस पार्टी के अधिकांश विधायक नीतीश कुमार के नेतृत्व में पहले काम कर चुके हैं. पिछली बार लालू यादव के विरोध के बावजूद नीतीश कुमार ने 40 कांग्रेस विधायकों को टिकट देने का काम किया था.

Jetline

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