बिहार विधानसभा चुनाव : समझिये वो तीन किरदारों को जो एनडीए का बना है टेंशन

Bihar Assembly Elections: Understand the three characters who are creating tension for NDA

डॉ. निशा सिंह

बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए का टेंशन अब धीरे धीरे बढ़ रहा है. टिकट के शेयरिंग फार्मूला पर अभी कोई बात नहीं हुई है. नीतीश कुमार की जदयू दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 भाजपा के साथ मिलकर लड़ना चाहती है. इसके पहले चिराग पासवान, पशुपति पारस, जीतनराम मांझी की मांग और कई निर्णय ने एनडीए में टेंशन में बढ़ा दिया है, नीतीश कुमार बीजेपी, चिराग पासवान, पशुपति पारस, जीतनराम मांझी की आये दिन आ रही ख़बरों से परेशान हैं. एनडीए के सहयोगी ज्यादा सीटें लेने का दबाब अभी से बना रही है.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रगति यात्रा के दौरान विधान सभा चुनाव को लेकर अपना रणनीति बना रहे हैं. बिहार में अभी एनडीए की सरकार चल रही है. सबसे अधिक बीजेपी और आरजेडी के पास ही सीटें हैं. पिछले विधान सभा चुनाव में 243 सदस्यों की विधानसभा में 75 सीटों के साथ राष्ट्रीय जनता दल सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. आरजेडी के बाद 74 सीटों के साथ भाजपा दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है. NDA 125 सीटों के साथ सत्ता बचाने में कामयाब रहा, लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान उठाने वाली पार्टी नीतीश कुमार की जदयू ही रही थी. पिछली बार के मुकाबले जदयू की 28 सीटें घट गईं और वह 43 सीटों पर आ गई. वहीं, भाजपा 21 सीटों के फायदे के साथ 74 सीटों पर पहुंच गई. राजद सबसे बड़ा दल बनकर उभरा, जिसे 75 सीटें मिलीं, उसके नेतृत्व वाले महागठबंधन को 110 सीटें मिलीं.

चिराग पासवान : सिवान में शहाबुद्दीन के मौत के बाद हालात बदल रहे हैं. खान ब्रदर्स को चिराग पासवान ने अपनी पार्टी लोजपा रामबिलास में शामिल कराया है. खान ब्रदर्स (रईस खान और अयूब खान) को नीतीश कुमार कोई भाव नहीं दे रहे थे. बाहुबली शहाबुद्दीन के आतंक से खान ब्रदर्स सिवान से बाहर थे. अब उनकी वापसी से राजद, जदयू दोनों को टेंशन है. जिस खान ब्रदर्स की एलजेपी रामविलास में एंट्री हुई है उन दोनों पर कई आपराधिक मामले दर्ज हैं. पिछली बार एमएलसी के चुनाव में मोहम्मद रईस खान ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था. उस वक्त बीजेपी तीसरे नंबर पर चली गई थी और रईस खान को दूसरा स्थान मिला था. अयूब खान पर एक चर्चित ट्रिपल हत्याकांड का मामला दर्ज है. चिराग कह रहे हैं कि लोजपा में आने से इस क्षेत्र में पार्टी को नई मजबूती मिलेगी. चिराग पासवान ने 2020 के बिहार विधान सभा चुनाव में अकेले चुनाव लड़ा, जिसमें बीजेपी के नेता भी लोजपा के सिम्बल पर चुनाव मैदान में उतरे थे. चिराग के कैंडिडेट्स ने जदयू को कम सीट मिलने में अहम् भूमिका निभाया था. इस दफे भी बीजेपी इसी रणनीति पर काम कर रही है. एनडीए का बड़ा सहयोगी जदयू है, जो चिराग पर कंट्रोल चाहती है, ये भी टेंशन है।

पशुपति पारस : एनडीए से नाराज और हाशिये पर चल रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस पिछले दिनों लालू यादव से मिलकर एनडीए को टेंशन में ला दिया. पशुपति पारस को लालू ने महागठबंधन में आने का कहा है. अगर ऐसा हुआ तो पासवान के दलित वोट में पारस सेंध जरूर लगा देगा, जो एनडीए को नुकसान पहुंचाएगा. पशुपति पारस ने कहा कि लोकसभा चुनाव में उनको दरकिनार किया गया है.

जीतनराम मांझी : विधानसभा चुनाव से पहले ऐसा लग रहा है कि एनडीए के अंदर सबकुछ ठीक नहीं है. जीतनराम मांझी ने 20 सीटों की मांग कर दी है. जीतनराम मांझी अभी केंद्रीय मंत्री हैं.

2020 के विधान सभा चुनाव में कितने सीटों पर कौन लड़ा ?

2020 के विधान सभा चुनाव में बिहार की कुल 243 सीट पर एनडीए के सीट शेयरिंग फॉर्मूले के तहत बीजेपी को 121 और जेडीयू को 122 सीटें मिली. नीतीश कुमार अपने कोटे से सात सीटें जीतन राम मांझी की हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा को दिया था. .

क्या है बिहार विधान सभा में पार्टियों की वर्तमान स्थिति?

243 सदस्यों वाली बिहार विधानसभा में एनडीए के पास अब 137 विधायक हैं. विपक्ष के पास 106 विधायक हैं. एनडीए की बात करें तो बीजेपी सदन में सबसे बड़ी पार्टी बन गई है. 78 विधायकों वाली भाजपा अब 80 विधायकों वाली पार्टी बन गई. बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं. फिलहाल इनमें बीजेपी के पास 80, राजद के पास 77, जदयू के पास 45, कांग्रेस के पास 19, भाकपा माले के पास 11, हम के पास 4, माकपा के पास 2, भाकपा के पास 2, एआईएमआईएम के पास 1 और 2 निर्दलीय विधायक हैं.

Jetline

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