भोजपुरी का वंदे मातरम् राष्ट्रगीत रघुवीर नारायण रचित बटोहिया आज भी लोकप्रिय

राम निवास सिंह

आज 30 अक्टूबर, 2020 को भोजपुरी राष्ट्र गीत बटोहिया के अमर रचइता रघुवीर नारायण जी की 136वीं जयंती है. रघुवीर नारायण को भोजपुरी साहित्य का वंकिमचंद्र और इकबाल कहा जाता है.

आजादी की पहली लड़ाई 1857 की क्रांति जब असफल हुई तो राष्ट्र कवियों ने लोगों में जोश और राष्ट्रप्रेम के लिए अमर रचनाएं लिखनी शुरू कर दी. रघुवीर नारायण ने अपनी मातृभाषा भोजपुरी में अमर कृति बटोहिया की रचना की जो राष्ट्र प्रेम और भक्ति से ओतप्रोत करने वाली रचना है. एक ही साल के अंदर 1912 में बांग्ला भाषी क्षेत्र कोलकाता की गलियों में यह रचना फैल गई थी. सर यदुनाथ सरकार ने तो रघुवीर जी यहां तक लिखा कि ‘बटोहिया को याद किए बिना मैं आपके बारे में सोच भी नहीं सकता.’ उनकी रचना की तुलना बंकिम चंद्र के ‘वंदे मातरम’ और इकबाल के ‘सारे जहां से अच्छा हिंदुस्ता हमारा’ से की गई. महात्मा गांधी ने भी बटोहिया का सस्वर पाठ सुन कर कहा कि यह तो भोजपुरी का वंदे मातरम है.

रघुवीर नारायण की दूसरी सबसे चर्चित कविता ‘भारत भवानी’ 16 सितंबर, 1917 को पाटलिपुत्र पत्र में छपी थी, हालांकि इसकी रचना भी 1912 में ही हो गई थी.

ऐसे अमर रचनाकार की आज की परिस्थतियों में अधिक जरूरत है, क्योंकि लोग अब मानसिक और भौतिक गुलाम हो गए हैं, ये बातें नारायण कला मंच के तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम में कही गयी. रघुवीर नारायण के जन्म स्थान नयागाव सारण में कोरोना महामारी एवं विधान सभा चुनाव के बीच यह कार्यक्रम उपेंद्र नाथ पाठक के आवास पर रखा गया था, कार्यक्रम की अध्यक्षता चंद्र देव राय ने किया. इस अवसर पर मोहन साह, उप मुखिया उपेंद्र प्रसाद साह, ईo उपेंद्र प्रसाद, भोजपुरी गायक रंजीत कुमार यादव, के.आर.पी. नवल किशोर ठाकुर, अरुण कश्यप, संजय कश्यप, जय प्रकाश प्रसाद, प्रधानाध्यापक अर्धेन्दु भूषण सिन्हा, उपेंद्र नाथ पाठक, पवन पाठक, शम्भू शर्मा आदि उपस्थित थे.

बटोहिया गीत

सुंदर सुभूमि भैया भारत के देसवा से
मोरा प्रान बसे हिमखोह रे बटोहिया.

एक द्वार घेरे रामा, हिम कोतवालवा से
तीन द्वारे सिंधु घहरावे रे बटोहिया.

जाहु-जाहु भैया रे बटोही हिंद देखी आऊं
जहवां कुहंकी कोइली गावे रे बटोहिया.

पवन सुगंध मंद अमर गगनवां से
कामिनी बिरह राग गावे रे बटोहिया.

बिपिन अगम धन, सघन बगन बीच
चंपक कुसुम रंग देवे रे बटोहिया.

द्रूम बट पीपल, कदंब नीम आम वृक्ष
केतकी गुलाब फूल फुले रे बटोहिया.

तोता तूती बोले रामा, भेंगरजवा से
पपीहा के पी-पी जिया साले रे बटोहिया.

सुंदर सुभूमि भैया भारत के देसवा से
मोरे प्रान बसे गंगाधार रे बटोहिया.

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