डॉ. निशा कुमारी
अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस केस पर आज 30 सितम्बर को सीबीआई की लखनऊ कोर्ट ऐतिहासिक फैसला सुनाएगी. इस केस पर देश भर की निगाहें लगी है. मोदी सरकार के कार्यकाल में राम मंदिर के बाद यह दूसरा बड़ा फैसला आनेवाला है.
अयोध्या विवादित ढांचा ढहाए मामले पर फैसले के दौरान बीजेपी के बरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी नहीं जाएंगे लखनऊ, आडवाणी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये कोर्ट से जुड़ेंगे. इनके अलावा उमा भारती कोरोना की वजह से एम्स ऋषिकेश में भर्ती हैं, वे भी कोर्ट नहीं जायेंगी। बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी भी लखनऊ नहीं जाएंगे, वो भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये कोर्ट से जुड़ेंगे.
अयोध्या विध्वंस मामले पर आज 30 सितम्बर को सीबीआई की लखनऊ कोर्ट फैसला सुनाएगी. 28 वर्ष बाद यह फैसला आने जा रहा है. इसमें 351 गवाह और 600 दस्तावेज पेश किए गए हैं. सीबीआई के स्पेशल कोर्ट ने 1 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था. इसमें 49 लोगों को आरोपित किया गया था जिसमें 17 लोगों की मृत्यु हो चुकी है. कुछ उम्रदराज लोग वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए उपस्थित होंगे, कुछ लोग कोर्ट में स्वयं उपस्थिति देंगे.
बाबरी विध्वंस केस में क्या सजा हो सकती है!
अगर इस केस में आडवाणी-जोशी-कल्याण-उमा दोषी साबित हुए तो पांच साल की सजा हो सकती है.
अयोध्या बाबरी विध्वंस मामले में बीजेपी के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती, विनय कटियार सहित कुल 32 आरोपी शामिल हैं. अदालत तय करेगी कि अयोध्या में विवादित ढांचा साजिशन गिराया गया था या कारसेवकों के गुस्से में ढांचा तोड़ा गया. बीजेपी नेताओं पर लगे आरोप सिद्ध हो जाते हैं तो उन्हें 2 साल से लेकर 5 साल की सजा हो सकती है.
लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार के वकील विमल श्रीवास्तव के मुताबिक बचाव पक्ष ने अपनी पूरी दलील पेश की है. यह भी कहा कि साजिश और साथ-साथ भड़काऊ भाषण दोनों के आरोप सही नहीं है क्योंकि कार सेवा करने गए लोग वहां कार सेवकों को रोकते नजर आए, जो उस वक्त विवादित ढांचा गिरा रहे थे. साजिश के भी कई पक्ष रहे.