नीतीश सरकार का फैसला : 14 वर्ष की सजा पूरी, फिर भी आनंद मोहन को अभी जेल से नहीं छोड़ा जा सकता

14 वर्ष की सजा पूरी, फिर भी आनंद मोहन को अभी जेल से नहीं छोड़ा जा सकता
पटना : मुन्ना शर्मा
बिहार की नीतीश सरकार ने साफ कर दिया है कि गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या के आरोप में उम्र कैद की सजा काट रहे पूर्व सांसद और बाहुबली नेता आनंद मोहन को जेल से रिहाई अभी संभव नहीं है. बिहार विधानसभा सत्र के दौरान ललित कुमार यादव समेत 20 विधायकों के ध्यानाकर्षण सवाल पर सरकार की ओर से प्रभारी गृहमंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने बताया कि ड्यूटी के दौरान एक लोक सेवक की हत्या के आरोप में जेल में बंद आनंद मोहन को परिहार (रिहाई) नहीं मिल सकता है.

ललित यादव ने कहा कि राज्य के विभिन्न जेलों में उम्रकैद की सजा प्राप्त कैदी 14 वर्ष की सजा पूरी करने के बाद भी हैं. परिहार परिषद द्वारा समय पर निर्णय नहीं लेने से उनके परिजनों में आक्रोश है. आनंद मोहन के पुत्र चेतन आनंद ने कहा कि आनंद मोहन जी को छह माह अधिक हो गये हैं, क्यों नहीं परिहार दिलाया जा रहा है. कई और प्रश्नकर्ता ने इसे राजनीति से प्रेरित बताया और वेल में आकर नारेबाजी भी की. बता दें कि आनंद मोहन के पुत्र चेतन आनंद अभी शिवहर से राजद विधायक हैं.

सरकार की ओर से प्रभारी मंत्री ने कहा कि राहत प्राप्त करना आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे किसी कैदी का कानूनी अधिकार नहीं है, अपितु जेल में उनके अच्छे आचरण को देखते हुए उनकी सजावधि को कम किया जाता है और अब तक 374 कैदियों को अच्छे आचरण के कारण रिहा किया जा चुका है. कानून में साफतौर पर उल्लेख है कि ड्यूटी पर तैनात सरकारी कर्मचारी की हत्या के दोषी को राहत नहीं मिल सकती है. जहां तक आनंद मोहन का सवाल है, वह तो कलेक्टर की हत्या के दोषी हैं और उन्हें जेल से छोड़ा नहीं जा सकता है. यादव ने आजीवन सजायाफ्ता बंदियों के समयपूर्व रिहाई को लेकर परिहार परिषद की 2018 से हुई कुल बैठकों का तिथिवार ब्योरा रखते हुए कहा कि हाल की बैठक 1 नवंबर 2021 को हुई थी, लेकिन आनंद मोहन जनसेवक की ड्यूटी के दौरान हत्या में दोषी हैं इसलिए उनकी रिहाई को लेकर बैठक में विचार नहीं किया गया है.

एडवॉकेट सुरभि आनंद,(आनंद मोहन की बेटी) ने कहा कि बिहार के माननीय मंत्री श्री विजेंद्र प्र. यादव के वक्तव्य से यह साबित हो गया कि बिहार में भारतीय संविधान, IPC या CrPC लागू नहीं होता, बल्कि यहां ‘नीतीश -मैनुअल’ के हिसाब से कानून काम करता है. ऐसा कोई कानून नहीं जो arbitrary notion पर परिहार इंकार करे!

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