एमनेस्टी इंटरनेशनल ने काम रोका- भारत ने कहा स्वीकार नहीं

न्यूज डेस्क

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भारत में अपने कार्य पर रोक लगा दी है. विदेश से अगर धन लेना है तो भारत के कानून को मानना होगा. FCRA के छूट को बराबर लेना होता है. वर्ष 2000 में इन्हें छूट मिली थी, लेकिन फिर कभी छूट नहीं मिली. जांच से बचने के लिए 4 संस्थान बनाया. इसमें 10 करोड़ रुपये आये जिसे FDI बताया. सरकार की जांच में पाया गया कि एमनेस्टी पैसे का रंग बदल रही है. यह भारत के बारे में बोलती है, लेकिन पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों के बारे में कुछ नहीं बोलती. सीएए को लेकर फेक कंपेन चलाती है. दूसरी तरफ एमनेस्टी इंटरनेशनल कह रही है कि वो मानवाधिकार को लेकर काम करती है. यूपीए सरकार के गृह राज्य मंत्री प्रकाश जायसवाल भी कहते है कि एमनेस्टी इंटरनेशनल गलत आरोप लगाती है. तत्कालीन गृह राज्य मंत्री शकील अहमद ने भी ये बात कही है.

एमनेस्टी इंटरनेशनल को कई देशों में रोक दिया गया है. पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने कहा था कि कर्नाकुलम में जो प्रोटेस्ट हुए थे उनके पीछे एनजीओ था. 2009 में भी उनका लाइसेंस निलंबित किया गया था. देश पर जो कोई एनजीओ हमला करती है तो हम सब इसका विरोध करते हैं. कोई भी भारत में काम करेगा उसे भारत का कानून मानना ही होगा. कई गैर-कानूनी काम एमनेस्टी इंटरनेशनल ने किए हैं. यह अंग्रेजों का जमाना नहीं है, जब अलग-अलग कानून होता था. एमनेस्टी इंटरनेशनल का यह कहना सही नहीं है कि भारत सरकार उनकी रिपोर्ट को गलत मानती है और कहती है कि यह भारत विरोधी रिपोर्ट हैं.

एमनेस्टी इंटरनेशनल पर कार्रवाई के बाद भारत सरकार के गृह मंत्रालय की प्रतिक्रिया

मानवाधिकार कार्यक्रम की आड़ में किसी भी देश का कानून नहीं तोड़ा जा सकता है. एमनेस्टी इंटरनेशनल पर कार्रवाई के बाद जो उनकी प्रतिक्रिया आई है वह बिल्कुल ठीक नहीं है, इस संस्था को 20 साल पहले विदेशी फंड मिलने की अनुमति मिली थी इसके बाद ऐसी कोई अनुमति इसे नहीं मिली थी. इसके बावजूद इन्होंने विदेशों से चंदा लिया. विदेशों से पैसे मिलने की वजह से एमनेस्टी इंटरनेशनल के ऊपर कार्रवाई की गई है. एमनेस्टी इंटरनेशनल एक मानव अधिकार कार्यक्रम चलाने वाली संस्था है और उसे अन्य संस्थाओं की तरह अपना कार्यक्रम चलाने की की पूरी आजादी है, लेकिन इसकी आड़ में वह भारत के अंदरूनी मामलों में दखल नहीं दे सकती है.

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