पटना : उमेश नारायण मिश्रा
बिहार जदयू के प्रदेश से प्रखंड स्तर तक के सभी प्रकोष्ठ को भंग कर दिया गया है. प्रदेश स्तर पर इनकी संख्या 33 थी. लोकसभा प्रभारियों को भी पदमुक्त कर दिया गया है. प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा कि अब नए सिरे से इनका गठन होगा. प्रकोष्ठों की संख्या भी कम होगी. आपको बता दें कि इन प्रकोष्ठों का गठन तत्कालीन अध्यक्ष और वर्तमान केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने मार्च-अप्रैल में किया था. सांसद राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के कुछ दिन बाद ही संकेत दिया था कि वह नए सिरे से प्रकोष्ठों का गठन करेंगे. ललन सिंह और प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा की मौजूदगी में बीते नौ सितम्बर को प्रकोष्ठ के अध्यक्षों की बैठक हुई थी. उसमें कामकाज की समीक्षा की गई.
ललन सिंह ने समीक्षा के दौरान कई कमेटियों को गैर-जरूरी करार दिया था. उन्हें व्यवसायिक प्रकोष्ठ और ट्रेडर्स प्रकोष्ठ के अलग-अलग गठन पर आपत्ति थी. एनआरआई प्रकोष्ठ को भी उन्होंने गैर-जरूरी करार दिया था. कलमजीवी और बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ अलग-अलग बनाए गए थे. एक ही प्रकृति के समूहों को जोडऩे के लिए अलग-अलग प्रकोष्ठ बनाने के लिए जदयू के भीतर असंतोष देखा गया था. प्रकोष्ठ को उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार के आधार पर बांटा गया था. दोनों के लिए अलग प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए थे. सूत्रों ने बताया कि पुनर्गठन के बाद प्रदेश स्तरीय प्रकोष्ठों की संख्या सीमित होगी. दो हिस्से में बंटे प्रकोष्ठ कम होंगे. इसी तरह एक ही तरह के सामाजिक समूह को पार्टी से जोड़ने के इरादे से बने कई प्रकोष्ठ हमेशा के लिए समाप्त हो जाएंगे.
पार्टी सूत्रों ने बताया कि नए सिरे से गठित होने वाले प्रकोष्ठों में काम करने वाले कार्यकर्ताओं को वरीयता दी जाएगी. संख्या कम होने के बावजूद भंग प्रकोष्ठ के पदधारकों को भी समायोजित किया जाएगा. पार्टी के बदले किसी नेता के प्रति प्रतिबद्ध पदधारकों को हटाया जाएगा.