नई दिल्ली : डॉ. निशा सिंह
संसद का मानसून सत्र 20 जुलाई से शुरू होगा और 11 अगस्त तक चलेगा. मानसून सत्र 23 दिनों तक चलेगा और इसमें 17 बैठकें होंगी. लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष की मोर्चेबंदी के चलते हंगामा होने संभावना है. प्रधानमंत्री मोदी के UCC की वकालत करने के बाद कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों की ओर से इसका विरोध किया जा रहा है. इस मुद्दे पर भी संसद में हंगामे के आसार हैं.
सूत्रों के अनुसार, सत्र की शुरुआत पुराने संसद भवन में होगी और बाद में नये संसद भवन में बैठक हो सकती हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूनिफार्म सिविल कोड को लेकर गंभीर है. माना जा रहा है कि सरकार सदन में इसे पेश कर सकती है. इस बिल को पास कराने के लिए राज्यसभा और लोकसभा में काफी हलचल देखने को मिल सकती है. वर्तमान में लोकसभा में बीजेपी के पास 300 से अधिक सांसद हैं और पार्टी को सहयोगियों का भी साथ मिलेगा. हालांकि, इसे उच्च सदन यानी राज्यसभा से पास कराना सरकार के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकती है. वर्तमान में राज्यसभा में 8 सीट खाली है और सदस्यों की कुल संख्या 237 है.
संसद के नये भवन का उद्घाटन गत 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. इस बार के मानसून सत्र के हंगामेदार रहने की उम्मीद है, क्योंकि विपक्षी दल अगले साल होने जा रहे लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी के खिलाफ मोर्चा बनाने के लिए एकजुट होने की कोशिश में जुटे हैं. इसके अलावा संसद सत्र ऐसे समय हो रही है, जब प्रधानमंत्री मोदी ने समान नागरिक संहिता की जोरदार वकालत की है और इस मुद्दे पर परामर्श बढ़ाने के कदम उठाए है. विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर सुझाव मांगे हैं.
संसद के मानसून सत्र के दौरान इस दफे केन्द्र सरकार दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश को बदलने के लिए एक बिल ला सकती है. अध्यादेश के जरिये केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया है, जिसने दिल्ली सरकार को ‘सेवाओं’ के मामले पर अधिक विधायी और प्रशासनिक नियंत्रण दिया था. सरकार इस विधेयक को जल्द पारित कराने की कोशिश करेगी. इस मामले पर दिल्ली की अरविन्द केजरीवाल सरकार लगातार विरोध में हैं. सरकार पर दबाब बनाने के लिए और विपक्ष को अपने समर्थन में लाने के लिए केजरीवाल देश भर में दौरा कर रहे हैं, प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं से मिलकर सदन में इस बिल का विरोध करने के लिए राजी कर रहे हैं.
इसके अलावा केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी दे दिए गए राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन विधेयक को मानसून सत्र में पेश किए जाने की संभावना है. प्रस्तावित फाउंडेशन विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में देश की अनुसंधान क्षमता को बढ़ाने के लिए एक नई फंडिंग एजेंसी होगी.