दिल्ली : डॉ. निशा सिंह
आज के समय में प्राचीन महाकाव्य रामायण युवा पीढ़ी को मूल्य प्रदान कर सकता है. रामायण महाकाव्य आदर्श सम्बंधों, सामाजिक मूल्यों और आदर्श व्यक्तित्व विकास का स्रोत है. ये बातें आईजीएनसीए के सदस्य डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने कही है.
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र द्वारा एमडीएसडी फाउंडेशन और एडवेंट्स फाउंडेशन के सहयोग से ‘दक्षिण पूर्व एशिया में रामायण’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का शुभारम्भ 13 जून, मंगलवार को विरासत कला द्वारा क्यूरेट की गई प्रदर्शनी ‘राम दरबार’ के उद्घाटन के साथ हुआ. यह कार्यक्रम दो दिनों 13 और 14 जून को आयोजित किया गया है. प्रदर्शनी का आयोजन आईजीएनसीए की कला दीर्घा में किया गया है, जबकि सेमिनार का आयोजन आईजीएनसीए के ऑडिटोरियम ‘समवेत’ में किया गया. इसी कार्यक्रम में अपने स्वागत भाषण में डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने ये बातें कही है.
इस कार्यक्रम का उद्घाटन रॉयल थाई दूतावास के मंत्री और मिशन के उप प्रमुख थिरापथ मोंगकोलनाविन, आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी और जनसंपदा प्रभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर के. अनिल कुमार ने दीप जलाकर किया. उद्घाटन नृत्य यामिनी लक्ष्मणस्वामी ने प्रस्तुत किया. इसके बाद दो पुस्तकों का लोकार्पण किया गया. इनमें से एक पुस्तक है अनीता बोस की ‘रामायण फुटप्रिंट्स इन साउथ ईस्ट एशियन कल्चर एंड हेरिटेज’ और दूसरी पुस्तक संस्कृत के प्रख्यात विद्वान डॉ. सी उपेंद्र राव की ‘श्रीराम कथा’ है.
फिलीपींस, थाईलैंड, कंबोडिया, मोंटेनेग्रो, श्रीलंका और भारत के विद्वानों ने रामायण से सम्बंधित विभिन्न विषयों पर प्रकाश डाला. थाईलैंड की अनीता बोस ने विभिन्न दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में रामायण के पदचिह्नों और प्रभाव पर अपने विचार प्रकट किए.
सेमिनार के दौरान रामायण के प्रसंगों पर आधारित पारंपरिक नृत्य प्रदर्शन भी हुए. कोलकाता के मुद्रा नृत्य समूह और कम्बोडिया के बुप्पा देवी डांस स्कूल ने पारम्परिक नृत्य शैलियों में रामायण के प्रसंगों पर प्रस्तुतियां दीं.