दिल्ली: डॉ. निशा सिंह
रिमोट मशीन से वोटिंग को लेकर चुनाव आयोग की आज की बैठक में अधिकांश विपक्षी पार्टियों ने असहमति जताई, जिससे चुनाव आयोग की तरफ से आज इसके डेमो का प्रजेंटेशन किया गया. इन पार्टियों का तर्क है कि प्रैक्टिकल नही है और इसे लागू नहीं किया जाना चाहिए.
चुनाव आयोग की इस बैठक में माइग्रेंट वोटर्स की संख्या पर भी राजनीतिक दलों ने सवाल खड़े किए कि ये आंकड़े कहां से आए? जबकि आयोग की तरफ से कहा गया कि 2019 में लगभग 30 करोड़ माइग्रेंट वोटर्स ने वोट नही दिया. चुनाव आयोग के इन आंकड़ों पर कई राजनीतिक दलों ने शक जाहिर करते हुए कहा कि कोविड-19 के समय माइग्रेंट लेबर के जब आंकड़े नहीं थे तो अब 30 करोड़ माइग्रेंट वोटर्स के आंकड़े आयोग के पास कहां से आ गए!
रिमोट EVM पर राजनीतिक दलों को 28 फरवरी तक जवाब देना है
आपको बता दें कि इस साल 9 राज्यों में विधान सभा चुनाव होने हैं और अगले साल लोकसभा चुनाव होनेवाले हैं. फिलहाल राजनीतिक दलों को रिमोट EVM पर 28 फरवरी तक अपने जवाब आयोग को देना है. बता दें कि इससे पहले ये डेट 31 जनवरी थी. आज यानी सोमवार को आयोग का प्रजेंटेशन दिया, लेकिन पार्टियां इससे असहमत हैं. आगे 28 फरवरी तक राजनीतिक दलों को चुनाव आयोग को जवाब देना है.
पिछले तीन लोकसभा चुनावों में वोटरों और वोटिंग प्रतिशत है :
लोकसभा चुनाव 2009 : कुल मतदाता 71 करोड़ 70 लाख, वोटिंग 58.21% यानी 41.79% लोगों ने वोटिंग नहीं किया
लोकसभा चुनाव 2014 : कुल मतदाता 83 करोड़ 40 लाख, वोटिंग 66.44% यानी 33.56% लोगों ने वोटिंग नहीं किया, और
लोकसभा चुनाव 2009 : कुल मतदाता 91 करोड़ 20 लाख, वोटिंग 67.40% यानी 32.60% लोगों ने वोटिंग नहीं किया.
रिमोट वोटिंग के फायदे : चुनाव आयोग
रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की मदद से अब घर से दूर किसी दूसरे शहर और राज्य में रहने वाला वोटर विधानसभा/लोकसभा चुनाव में वोट डाल सके. अभी देश में लगभग 45 करोड़ लोग ऐसे हैं, जो अपना घर और शहर छोड़कर दूसरे राज्यों में रह रहे हैं और इसका सेंट्रलाइज्ड डेटा मौजूद नहीं है, जिसके चलते ये लोग अपना वोट नहीं दाल पा रहे हैं. वोट प्रतिशत कम होने का ये बड़ा कारण है. आरवीएम के कारण अब मतदाता अपने निर्वाचन क्षेत्र में होने वाले चुनाव में मताधिकार का प्रयोग आसानी से कर पाएंगे. रिमोट वोटिंग मशीन (RVM), इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का ही मोडिफाइड वर्जन है. आरवीएम के जरिए देश के एक राज्य से दूसरे राज्यों में जाने वाले माइग्रेंट को वोट करने में आसानी होगी.