विशेष संवाददाता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार आज यानी 8 जनवरी को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से जोशीमठ में जमीन धंसने को लेकर बातचीत की और राज्य को केंद्र से हर संभव मदद का आश्वासन दिया. उत्तराखंड के सीएम धामी ने कहा कि पीएम मोदी ने मुझसे फोन पर बातचीत कर जोशीमठ (Joshimath) की स्थिति और लोगों के पुनर्वास व सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों के बारे में पूछा. सीएम धामी ने कहा कि जोशीमठ की स्थिति का विश्लेषण किया जा रहा है. हम यह भी देखेंगे कि क्या अन्य पहाड़ी शहरों ने सहनशीलता की सीमा हासिल कर ली है.
इधर जोशीमठ मामले में पीएम के प्रधान सचिव पी के मिश्रा की अध्यक्षता में बैठक हुई. फिलहाल भारत सरकार की एजेंसियाँ लॉन्ग टर्म, मीडियम टर्म और शॉर्ट टर्म योजनाएँ बनाने में राज्य सरकार की मदद कर रहे हैं. किसी भी आपदा से निपटने के लिए NDRF की एक और SDRF की चार टीम जोशीमठ पहुँच चुकी है और प्रभावित परिवारों को सुरक्षित इलाको में पहुँचाया जा रहा है. अब सोमवार को बॉर्डर मैनेजमेंट सचिव और NDMA के सदस्य जोशीमठ जाकर स्थिति का आकलन करेंगे. उत्तराखंड के मुख्य सचिव ने पीएमओ को स्थिति के बारे में अवगत कराया और कई विशेषज्ञ एजेंसियों को वहाँ की स्थिति का अध्ययन करने कहा है.
जमीनी हकीकत की बात करें तो उत्तराखंड के जोशीमठ में स्थिति हर दिन और ज्यादा खराब होती जा रही है, दरारें दो इंच से बढ़कर अब 8-9 इंच की हो गई हैं. माना जा रहा है कि अगले हफ्ते तक मलारी इन और माउंटेन व्यू दोनों होटल गिर जाएंगे. स्थानीय लोगों के अनुसार एनटीपीसी (NTPC) की सुंरग में जिस तरह ब्लास्ट किए जाते हैं, वो भी जमीन धंसने का एक बडा कारण है. फिलहाल इस टनल का निर्माण कार्य पूरी तरह से रोक दिया गया है. एनटीपीसी का कहना है कि यहां किसी तरह का ब्लास्ट नहीं किया गया और दिल्ली मेट्रो की तर्ज पर काम किया गया है. आपको बता दें कि 6 जनवरी को यहां सिंहधार वार्ड में मां भगवती का मंदिर भी ढह गया था और इसके बाद सीएम धामी ने भी जोशीमठ में बने अति संवेदनशील भवनों को तत्काल खाली कराने के निर्देश दिए थे. अब जोशीमठ के जोखिम वाले घरों में रहने वाले लगभग 600 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जा रहा है.