शार्प वे न्यूज नेटवर्क :
साल 2002 के गुजरात दंगों की पीड़िता बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है. बिलकिस ने 13 मई को आए कोर्ट के आदेश पर फिर से विचार की मांग की है, क्योंकि इसी आदेश के आधार पर बिलकिस से सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के दोषी रिहा हुए थे. आपको बता दें कि गुजरात सरकार ने 15 अगस्त को इसी आधार पर 14 साल की सज़ा काट चुके ग्यारह लोगों को रिहा कर दिया था. बता दें कि साल 2002 से ही पीड़िता लगातार प्रयासरत है कि दोषियों को किसी भी हाल में छोड़ा न जाए.
आपको बता दें कि गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के दौरान 3 मार्च, 2002 को दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका के रंधिकपुर गांव में बिलकिस बानो के घर में भीड़ घुस गई, उनके परिवार पर हमला कर दिया. बिलकिस बानो उस समय पांच महीने की गर्भवती थी, लेकिन उसके साथ भी भीड़ ने गैंगरेप किया. बिलकिस के परिवार के सात सदस्यों की हत्या भीड़ ने कर दी. बिलकिस बानो गैंगरेप मामला गुजरात दंगों का सबसे भयावह मामला था. बता दें कि बिलकिस उस समय 21 साल की थीं, जब भीड़ ने उनके साथ गैंगरेप किया और उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया था. उनके परिवार के छह सदस्य भागने में सफल रहे थे.
इस मामले के दोषियों को 2004 में गिरफ्तार किया गया था. साल 2008 में मुंबई के एक सेशन कोर्ट ने 11 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई. इनमें से तीन ने बिलकिस के साथ रेप की बात स्वीकार की थी. बता दें कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने मई 2017 को सभी आरोपियों की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी, जिसमें पुलिसकर्मी और डॉक्टर भी शामिल थे, जिन्होंने सबूतों से छेड़छाड़ की थी.
फिलहाल इस केस के दोषियों ने 15 साल से अधिक जेल की सजा काटने के बाद समय से पहले रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. सर्वोच्च अदालत ने गुजरात सरकार को उनकी सजा माफ करने के मुद्दे पर गौर करने का निर्देश दिया था. इसके लिए सरकार ने एक समिति का गठन भी किया और इस पैनल की जांच रिपोर्ट के बाद दोषियों को 15 अगस्त के दिन जेल से आजाद कर दिया गया था. अब इसी फैसले पर पुर्विचार के लिए बिलकिस बानो फिर से उच्चतम न्यायालय पहुंची है.