न्यूज डेस्क:
चुनाव आयोग ने बड़ा फैसला लेते हुए कश्मीर से बाहर के लोगों को भी मतदान का अधिकार दिया है. इनमें कर्मचारी, छात्र, मजदूर या देश के दूसरे राज्यों के वे व्यक्ति शामिल होंगे जो आमतौर पर जम्मू-कश्मीर में रह रहे हैं. देश के अन्य राज्यों के सशस्त्र बल के जवान जो जम्मू-कश्मीर में तैनात हैं, वे भी अपना नाम मतदाता सूची में जोड़ सकते हैं. वे मतदााता सूची में अपना नाम दर्ज करा सकते हैं और जम्मू-कश्मीर में होने वाले चुनाव में वोट कर सकते हैं. मतदाता सूची में शामिल होने की एकमात्र शर्त यह है कि व्यक्ति ने अपने मूल राज्य से अपना मतदाता पंजीकरण रद्द कर दिया हो. आयोग के इस फैसले से मतदाता सूची में करीब 20 से 25 लाख नए मतदाता शामिल होंगे.
चुनाव आयोग के फ़ैसले के विरोध में क्षेत्रीय पार्टियों ने बुलाई सर्वदलीय बैठक
कश्मीरी नेताओं ने चुनाव आयोग के फैसले के विरोध में आगे की रणनीति तय करने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई है. जम्मू-कश्मीर के मतदाता सूची में क्षेत्र के बाहर के लोगों के नाम शामिल करने के मुद्दे पर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती और नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के नेता फारूक अब्दुल्ला ने 22 अगस्त को सर्वदलीय बैठक बुलाई है.
महबूबा ने चुनाव आयोग पर लगाया बीजेपी की मदद करने का आरोप
चुनाव आयोग के इस फैसले पर पीडीपी की मुखिया महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ‘पहले ‘जम्मू-कश्मीर में चुनावों को स्थगित करने का भारत सरकार का निर्णय और अब गैर स्थानीय लोगों को वोट देने की अनुमति देना, यह भाजपा के पक्ष में चुनाव परिणामों को प्रभावित करना के संकेत हैं. असली उद्देश्य स्थानीय लोगों को शक्तिहीन करना है.’