दिल्ली – डॉ. निशा सिंह
अग्निपथ योजना के विरोध में पूरा देश धधक उठा और भावी अग्निवीरों यानी छात्रों ने जो तोड़-फोड़ मचाया, उसका सबसे अधिक खामियाजा रेलवे को उठाना पड़ा है. रेल मंत्रालय के अनुसार रेलवे को पिछले एक दशक में भी इतना अधिक नुकसान नहीं उठाना पड़ा था, जितना इस आंदोलन के विरोध में उठाना पड़ा है.
रेल मंत्रालय को आंकड़ों के मुताबिक पिछले एक दशक में रेलवे को जहां सवा चार सौ करोड़ रू. की संपत्ति का नुकसान हुआ था, वहीं केन्द्र सरकार की अग्निपथ योजना के विरोध में प्रदर्शनकारियों ने रेलवे की हजार करोड़ की संपत्ति को की बर्बादी कर डाली है. प्रदर्शनकारियों ने दर्जनों ट्रेनों में आग लगा दी, जबकि केवल एक ट्रेन के जलने से ही रेलवे को 40 से 70 करोड़ रु. का नुकसान हो जाता है. जबकि रेलवे एक्ट, 1989 की धारा 151 के अनुसार रेलवे की संपत्ति को नुकसान पहुंचाना कानूनन अपराध है और इसके लिए 5 साल तक की सजा या जुर्माना अथवा दोनों की सजा का प्रावधान है.
बता दें कि इससे पहले इसी साल जनवरी में आरआरबी-एनटीपीसी परीक्षा परिणाम के विरोध में छात्रों ने रेलवे की करोड़ों की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था. रेल मंत्रालय का कहना है कि 18 जून तक केवल चार दिनों में ही प्रदर्शनकारियों ने 700 करोड़ की संपत्ति का नुकसान कर डाला.
वर्ष 2020-21 की बात की जाए तो रेलवे को 467.20 करोड़ रु. का नुकसान हुआ, जिसमें अकेले पंजाब में रेलवे को 465 करोड़ रु. का नुकसान हुआ, जिसमें किसान आंदोलन का अहम रोल था.
इन आंदोलनों और प्रदर्शनों से होने वाले तोड़-फोड़ के अलावे रेलवे को टिकट कैंसिल करवाने, ट्रेन रद्द होने से भी अतिरिक्त नुकसान उठाना पड़ रहा है. इस साल भी लगभग 60 करोड़ यात्री अपना टिकट कैंसिल करवा चुके हैं.
अगर कीमत की बात की जाए तो एक एसी कोच बनाने में 3.5 करोड़ रु. खर्च आता है, जबकि स्लीपर कोच बनाने में 1.25 करोड़, जनरल कोच बनाने में 80 लाख रु. और रेल इंजन में 20 करोड़ का खर्च आता है, इस हिसाब से 12 बोगियों वाले ट्रेन की कीमत 40 करोड़ रु. और 24 बोगियों वाले ट्रेन की कीमत 70 करोड़ रु. होती है.