बिहार कांग्रेस के नए अध्यक्ष को लेकर हाईकमान असमंजस में, डमी अध्यक्ष के लिए जोड़ लगा रहे हैं भक्त

Bihar Congress Next President

पटना : विशेष संवाददाता

बिहार कांग्रेस के नए अध्यक्ष का चयन को लेकर मंथन चल रहा है. वर्तमान अध्यक्ष मदन मोहन झा के कार्यकाल में बिहार में कांग्रेस का बुरा हाल हो गया. हाईकमान द्वारा प्रदेश स्तर के नेताओं को नजरअंदाज करके अभी तक अध्यक्ष बनाने की जो रणनीति रही है उससे कांग्रेस और भी कमजोर होती जा रही है. अभी तक जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक एक बार फिर कमजोर नेता के हाथ में कमान मिलने वाली है. बिहार प्रभारी भक्त चरण दास अपने सिपहसलार को अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाने के लिए हाईकमान को लगभग सेट कर चुके हैं.

दिल्ली में डेरा डाले नेता कांग्रेस के अध्यक्ष बनने के लिए अपनी गोटी बिठाने में जुटे हैं. पार्टी के थिंक टैंकर के अनुसार कांग्रेस इस बार किसी पिछड़े को अध्यक्ष बना सकती है. इस रेस में विधायक राजेश कुमार अभी सबसे आगे चल रहे हैं. बिहार कांग्रेस प्रभारी ने राजेश के नाम को आगे रखा है, लेकिन उनका राजनीति में कोई ज्यादा वजूद नहीं कि कांग्रेस को बिहार में मजबूत कर सके. दूसरी ओर सवर्ण में भी किसी को अध्यक्ष बनाने के संभावना है. इस दौर में राजपूत जाति से किसी को कमान मिल सकती है. चर्चा ये है कि इस दौर में डॉ. समीर कुमार सिंह, विधान पार्षद को अध्यक्ष बनाया जा सकता है. पिछले दो दशक से कांग्रेस ने किसी राजपूत नेता को अध्यक्ष नहीं बनाया है.

आपको बता दें कि मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष डा. मदन मोहन झा का कार्यकाल पूरा हो चुका है. नए अध्यक्ष की खोज चल रही है. विधायक राजेश कुमार के नाम का प्रस्ताव प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी भक्त चरण दास ने दिया था. प्रस्ताव स्वीकार न करने पर वे नाराज भी हो गए थे. नई खबर यह आ रही है कि आलाकमान के स्तर से राजेश राम के नाम पर गंभीरता से विचार चल रहा है.

बिहार कांग्रेस के वर्तमान अध्यक्ष मदन मोहन झा के कार्यकाल के दौरान एक लोकसभा, एक विधानसभा चुनाव के साथ विधानसभा की तीन सीटों के लिए उपचुनाव और विधान परिषद की 24 सीटों पर भी चुनाव हुए. इन चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा. 2015 के विधानसभा चुनाव में जीती 27 सीटों से खिसककर 2020 के चुनाव में कांग्रेस 19 सीटों पर आ गई. इसी प्रकार लोकसभा चुनाव में भी महज एक सीट किशनगंज में पार्टी जीत दर्ज करा सकी. विधानसभा की तीन सीटों पर हुए उपचुनाव में पार्टी का प्रदर्शन बेहद निराशा जनक रहा. जबकि परिषद की 24 सीटों पर हुए चुनाव में पार्टी सिर्फ एक सीट पर बाजी मारी. बिहार में कांग्रेस के लगातार निराशाजनक प्रदर्शन और अध्यक्ष के कार्यकाल की मियाद समाप्त होने को आधार बनाकर केंद्रीय नेतृत्व ने बीते दिनों प्रदेश अध्यक्ष झा से इस्तीफा ले लिया.

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