उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का एलान : प्रदेश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करेंगे

Pushkar Singh Dhami implements Uniform Civil Code soon

न्यूज डेस्क :

उत्तराखंड में बीजेपी की आज नई सरकार का गठन होने के बाद मंत्रिमंडल की पहली बैठक हुई. बैठक के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एलान किया कि 12 फरवरी 2022 को हमने जनता के समक्ष संकल्प लिया था कि हमारी सरकार का गठन होने पर हम यूनिफॉर्म सिविल कोड लेकर आएंगे और आज हमने तय किया है कि हम इसे जल्द ही लागू करेंगे. हम एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाएंगे और वो कमेटी इस कानून का एक ड्राफ्ट तैयार करेगी और हमारी सरकार उसे लागू करेगी. आज मंत्रिमंडल में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर दिया है. धामी ने कहा कि अन्य राज्यों से भी हम अपेक्षा करेंगे कि वहां पर भी इसे लागू किया जाए.

जानिए क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड

समान नारिकता संहिता का मतलब है भारत में रहने वाले सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून, चाहे वह किसी भी मजहब या जाति का हो. समान नागरिक संहिता लागू होने से हर मजहब के लिए एक जैसा कानून आ जाएगा. मौजूदा वक्त में देश में हर धर्म के लोग शादी, तलाक, जायदाद का बंटवारा और बच्चों को गोद लेने जैसे मामलों का निपटारा अपने पर्सनल लॉ के हिसाब से करते हैं. मुस्लिम, ईसाई और पारसी का पर्सनल लॉ है, जबकि हिंदू सिविल लॉ के तहत हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध आते हैं. संविधान में समान नागरिक संहिता को लागू करना अनुच्छेद 44 के तहत राज्य की जिम्मेदारी बताया गया है, लेकिन ये आज तक देश में लागू नहीं हो पाया है.

यूनिफॉर्म सिविल कोड की हिमायत करने वालों की दलील

कॉमन सिविल कोड को लागू करने के पक्ष में लोगों की दलील है कि अलग-अलग धर्मों के अलग-अलग कानून से न्यायपालिका पर बोझ पड़ता है. समान नागरिक संहिता लागू होने से न्यायपालिका में लंबित मामले आसानी से सुलझ जाएंगे. इसके लागू होने से शादी, तलाक, गोद लेना और जायदाद के बंटवारे में सबके लिए एक जैसा कानून होगा. मौजूदा वक्त में सभी मजहब इन मामलों का फैसला अपने कानून के मुताबिक करते हैं. कॉमन सिविल कोड की हिमायत करने वालों का कहना है कि इससे महिलाओं की स्थित मजबूत होगी, क्योंकि कुछ धर्मों में महिलाओं के बहुत सीमित अधिकार है.

यूनिफॉर्म सिविल कोड के विरोधियों की क्या है दलील

समान नागरिक संहिता का विरोध करने वालों का कहना है कि ये सभी धर्मों पर हिंदू कानून को लागू करने जैसा है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि अगर सबके लिए समान कानून लागू कर दिया गया तो उनके अधिकारों का हनन होगा. मुसलमानों को तीन शादियां करने का अधिकार नहीं रहेगा. अपनी बीवी को तलाक देने का हक नहीं होगा. वह अपनी शरीयत के हिसाब से जायदाद का बंटवारा नहीं कर सकेंगे.

Jetline

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *