न्यूज़ डेस्क :
रूस-यूक्रेन युद्ध का साईड इफेक्ट अब विश्व के दूसरे देशों के साथ भारत पर भी पड़ने वाला है. भारत में पेट्रोल की कीमत अब तेजी से बढ़ेगी. भारत अपनी तेल आवश्यकता का 85 फीसदी हिस्सा विदेशों से आयात करता है और इस लड़ाई से कच्चे तेल कीमतें बीते नौ सालों से उपर चला गया है.
जानकारों का कहना है कि बीते दो महीनों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल के दाम बढ़ने से सरकारी स्वामित्व वाले खुदरा तेल विक्रेताओं को लागत वसूली के लिए 16 मार्च 2022 या उससे पहले ईंधन के दामों में 12.1 प्रति लीटर की वृद्धि करनी होगी. इसमें अगर तेल कंपनियों के मार्जिन को भी जोड़ लें तो 15.1 रुपये प्रति लीटर की मूल्य वृद्धि की आवश्यकता है.
कच्चे तेल की कीमत 120 डॉलर प्रति बैरल के पार
रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें बृहस्पतिवार को 120 डॉलर प्रति बैरल के पार चली गईं थी. यह 2012 के बाद यानी बीते नौ वर्षों में सर्वाधिक हैं. हालांकि आज, शुक्रवार को दाम थोड़े घटकर 111 डॉलर प्रति बैरल पर आ गए हैं, लेकिन तेल की लागत और खुदरा बिक्री दरों के बीच का अंतर बढ़ता जा रहा है.
भारत अपनी जरूरत का 85 प्रतिशत तेल आयात करता है
बता दें कि भारत में तेल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय कीमतों से सीधे प्रभावित होती हैं, क्योंकि भारत अपनी तेल आवश्यकता का 85 फीसदी हिस्सा विदेशों से आयात करता है. तीन मार्च, 2022 को वाहन ईंधन का शुद्ध विपणन मार्जिन शून्य से नीचे 4.92 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गया. हालांकि ईंधन के मौजूदा अंतररराष्ट्रीय मूल्य पर अप्रैल में शून्य से नीचे 12.6 रुपये लीटर तक जा सकता है.