बिहार MLC चुनाव : पटना सीट तेजस्वी के लिए चुनौती बनी, एक ओर बाहुबली तो दूसरी ओर जमीनी नेता लल्लू मुखिया टिकट के दावेदार

Lallu Mukhiya Claims RJD Candidate for MLC Election 2022

न्यूज़ डेस्क :

बिहार MLC चुनाव : बिहार विधान परिषद की 24 सीटों के लिए चुनाव होने हैं. फिलहाल किसी पार्टी ने प्रत्याशियों का फाइनल लिस्ट जारी नहीं किया है. बीजेपी और जदयू के बीच 50-50 के फार्मूले पर अभी तक सहमति को लेकर बात नहीं बनी है. वहीं दूसरी तरफ महागठबंधन के 2 बड़े घटना दलों राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस में भी सहमति नहीं बनी है. हाल में ही विधानसभा की 2 सीटों पर उपचुनाव हुए हैं, जिसमें आरजेडी और कांग्रेस के बीच तकरार सतह पर आ गई थी. दोनों दलों ने अपने-अपने प्रत्‍याशी चुनाव मैदान में उतारे थे, जिससे राजद कांग्रेस के बीच कड़वाहट चरम पर पहुंच गई थी.

अब विधान परिषद चुनाव में RJD ने 9 सीटों पर अपने प्रत्‍याशी तय कर लिए हैं. राजद ने जिन उम्मीदवारों का नाम फाइनल किया है, उनमें वैशाली से सुबोध कुमार, औरंगाबाद से अनुज कुमार सिंह, रोहतास से कृष्ण कुमार सिंह, गया से रिंकू यादव, भोजपुर से अनिल सम्राट, दरभंगा से उदय शंकर यादव, सीतामढ़ी से खब्बू खरियार, और पश्चिमी चंपारण से इंजीनियर सौरभ कुमार के नाम शामिल हैं.

राजधानी पटना सीट को लेकर आरजेडी में खींचतान अभी चल रही है. पटना जिले के दो बाहुबली अनंत सिंह और रीतलाल यादव ने अपने खास आदमियों के लिए टिकट का दावा किया है. अनंत सिंह अपने खास कार्तिक मास्टर को जबकि रीतलाल अपने भाई को टिकट दिलाने में जुटे हैं, वहीं दूसरी तरफ जमीनी नेता लल्लू मुखिया टिकट के दावेदार हैं. यह सीट तेजस्वी यादव और लालू यादव के लिए प्रतिष्ठा का विषय बनने वाला है, क्योंकि एक तरफ बाहुबलियों का पार्टी पर दवाब है तो दूसरी तरफ जनाधार वाले नेता लल्लू मुखिया हैं.

लल्लू मुखिया को दरकिनार करना आरजेडी के लिए मुश्किल क्यों ?

आरजेडी के लिए पटना सीट पर प्रत्याशी का चुनाव करना इसलिए भी मुश्किल हो रहा है, क्योंकि पिछले विधान सभा चुनाव में लल्लू मुखिया को पार्टी से टिकट नहीं मिला था तो वो निर्दलीय चुनाव लड़े थे और उन्हें अच्छा-खासा वोट भी मिला था और यही वजह रही कि आरजेडी इस सीट पर हार गई थी. इस बार के विधान परिषद चुनाव में भी अगर आरजेडी ने लल्लू मुखिया को टिकट नहीं दिया तो वो निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं और उस परिस्थिति में आरजेडी को फिर से नुकसान हो सकता है. लल्लू मुखिया का क्षेत्र में कितना पकड़ है, इस आंकड़े से पता चलता है कि 2001 में वो पहली बार मुखिया बनें और तब से लेकर अभी तक यह पद उनके ही परिवार के पास है. पिछले साल हुए चुनाव में भी उनकी पत्नी लगातार दूसरी बार मुखिया बनी है.

अब देखना यह है कि आरजेडी बाहुबलियों के करीबियों को टिकट देगी, जिनका अपना जनाधार नहीं है या फिर क्षेत्र में जमीनी पकड़ वाले नेता लल्लू मुखिया को टिकट देगी.

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