दिल्ली: वरिष्ठ संवाददाता
एयर इंडिया अब एक बार फिर से अपने पुराने घर में आ चुका है. टाटा ने इस सरकारी एयरलाइंस को सबसे ज्यादा बोली लगाकर खरीद लिया है. टाटा संस 68 साल के बाद एक बार फिर से एयर इंडिया का मालिक हो गया है. केंद्र सरकार ने टाटा द्वारा लगाई गई बोली को मंजूरी दे दी है. टाटा ने एयर इंडिया को लिए 18,000 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी, जिसमें 15,300 करोड़ रुपये कर्ज के रूप में और बाकी नकद देना है. टाटा संस की एयर इंडिया के लिए 18,000 करोड़ रुपये की सफल बोली सरकार द्वारा तय 12,906 करोड़ रुपये के आरक्षित मूल्य से अधिक है.
‘रतन टाटा ने टवीट करके सरकार का शुक्रिया किया साथ ही कहा WELCOME BACK AIR INDIA
Welcome back, Air India 🛬🏠 pic.twitter.com/euIREDIzkV
— Ratan N. Tata (@RNTata2000) October 8, 2021
पिछले हफ्ते से ही चर्चा थी कि एयर इंडिया के लिए सबसे मजबूत नाम टाटा ग्रुप का है. मंत्रियों के एक पैनल ने एयरलाइन के अधिग्रहण के प्रस्ताव में टाटा ग्रुप को सबसे मजबूत मानते हुए एयर इंडिया ग्रुप को देने की वकालत की थी. टाटा की एयर इंडिया और इसके दूसरे वेंचर एयर इंडिया एक्सप्रेस में 100 फीसदी हिस्सेदारी होगी, जबकि ग्राउंड-हैंडलिंग कंपनी एयर इंडिया SATS एयरपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड में भी 50 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी. टाटा की 18,000 करोड़ रुपए की सफल बोली में 15,300 करोड़ रुपए का कर्ज लेना और बाकी नकद भुगतान शामिल है. आपको बता दें कि सरकार को 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री के एवज में टाटा संस से 2,700 करोड़ रुपए मिलेंगे.
डीआईपीएएम के तुहिन कांत पांडेय सेकेट्री ने कहा कि एयर इंडिया को खरीदने वाले टाटा ग्रुप को घरेलू हवाई अड्डों पर 4,400 घरेलू और 1,800 अंतरराष्ट्रीय लैंडिंग और पार्किंग अलोकेशन का कंट्रोल दिया जाएगा. कंपनी को एयर इंडिया की सस्ती एविएशन सर्विस एयर इंडिया एक्सप्रेस का भी सौ प्रतिशत कंट्रोल मिलेगा. देश के बड़े आर्थिक फैसले पर विचार करने के लिए एक स्पेशल पैनल गया था. इस पैनल में गृह मंत्री, वित्त मंत्री, कॉमर्स मिनिस्टर और सिविल एविएशन मिनिस्टर शामिल रहे. पैनल ने सभी पहलुओं पर विचार-विमर्श किया. इसके बाद बिड में सबसे बड़ी बोली लगाने पर टाटा संस को विजेता घोषित कर दिया गया. इस फैसले के बाद टाटा समूह के चेयरमैन रतन टाटा की भी प्रतिक्रिया आई है. केंद्र सरकार ने यह साफ कर दिया है कि एयर इंडिया में काम कर रहे कर्मचारियों के हितों का पूरा ख्याल रखा जाएगा.
सरकार एयर इंडिया में अपनी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच रही है. विमानन कंपनी 2007 में घरेलू इकाई इंडियन एयरलाइंस के साथ विलय के बाद से घाटे में है. सरकार 2017 से ही एयर इंडिया के विनिवेश का प्रयास कर रही थी. तब से कई मौके पर प्रयास सफल नहीं हो पाए. एयर इंडिया की स्थापना जहांगीर रतनजी दादाभाई (जेआरडी) टाटा ने 1932 में की थी. उस समय इस विमानन कंपनी को टाटा एयरलाइंस कहा जाता था.