दिल्ली : डॉ. निशा सिंह
दिल्ली में नक्सल समस्या पर गृहमंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्रियों के मीटिंग खत्म होने के बाद केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि केंद्र और राज्यों के आपसी सहयोग से समस्या का समाधान संभव है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की अगुवाई में नक्सलवाद पर नकेल कसने में केंद्र और राज्यों के साझा प्रयासों से बहुत सफलता मिली है. अमित शाह ने कहा कि नक्सलवाद के कारण पिछले 40 वर्षों में 16 हज़ार से अधिक नागरिकों की जान गई हैं. अब जो हथियार उठाकर निर्दोष लोगों और पुलिस को आहत करेंगे, उनको उसी तरह जवाब दिया जायेगा.
बैठक में ये लोग शामिल हुए
नक्सलवाद पर केंद्रीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में केन्द्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री, गिरिराज सिंह, जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा, दूरसंचार, सूचना-प्रौद्योगिकी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल वी के सिंह और केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय शामिल थे. इनके अलावा बिहार, ओडिशा, महाराष्ट्र, तेलंगाना, मध्य प्रदेश और झारखंड के मुख्यमंत्री और आंध्र प्रदेश की गृह मंत्री, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और केरल के वरिष्ठ अधिकारी, केन्द्रीय गृह सचिव, केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के शीर्ष अधिकारी और केन्द्र तथा राज्य सरकार के अनेक वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए थे.
पिछले दशक से नक्सलवाद का फैलाव लगातार घटा
गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक नक्सलवाद संबंधित हिंसा की घटनाएं भारत में लगातार घटी है. 2009 में 2,258 के उच्चतम स्तर से 70% कम होकर वर्ष 2020 में 665 हो गई हैं. मौतों की संख्या में भी 82% की कमी आई है जो वर्ष 2010 में दर्ज 1,005 के उच्चतम आंकड़े से घटकर वर्ष 2020 में 183 रह गई हैं. माओवादियों के प्रभाव वाले ज़िलों की संख्या भी वर्ष 2010 में 96 से वर्ष 2020 में घटकर सिर्फ 53 ज़िलों तक सीमित रह गई है. माओवादियों को तो अब सिर्फ़ कुछ ही इलाक़ों में 25 ज़िलों तक सीमित कर दिया गया है जो कि देश के कुल वामपंथी उग्रवाद की 85% हिंसा के लिए ज़िम्मेदार हैं.
नक्सलवाद को कम करने के लिए ये उपाय जरूरी – अमित शाह
गृह मंत्री अमित शाह ने मीटिंग के बाद कहा कि दशकों की लड़ाई में हम पहली बार ऐसे मुकाम पर पहुंचे हैं जिसमें मृत्यु की संख्या 200 से कम है और यह हम सबकी साझा और बहुत बड़ी उपलब्धि है. उन्होंने कहा कि नक्सलवाद और अलगाववाद के किसी भी रूप को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए इन उपायों को अमल में लाना जरूरी है –
असंतोष का मूल कारण आज़ादी के बाद 6 दशकों में विकास ना पहुंच पाना है, विकास होने पर निर्दोष लोग उनके बहकावे में नहीं आएंगे इसीलिए विकास की गति निर्बाध रूप से जारी रखना बहुत ज़रूरी है.
नक्सलवादियों के आय के स्रोतों को निष्प्रभावी करना बेहद ज़रूरी है. केन्द्र और राज्य सरकारों की ऐजेंसियों को मिलकर एक व्यवस्था बनाकर इसे रोकने का प्रयास करना चाहिए.
अगले एक साल तक सभी राज्य नक्सलवाद की समस्या को प्राथमिकता दें, जिससे इस समस्या का स्थायी समाधान हो सके. इसके लिए दबाव बनाने, गति बढ़ाने और बेहतर समन्वय की ज़रूरत है.
प्रभावित राज्यों के मुख्य सचिव कम से कम हर तीन महीने में पुलिस महानिदेशक और केन्द्रीय ऐजेंसियों के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक करें.