नई दिल्ली : वरिष्ठ संवाददाता
किसानों आंदोलन का लोगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. इस आंदोलन से 9000 से अधिक सूक्ष्म, मध्यम और बड़ी कंपनियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. इतना ही नहीं, परिवहन पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, जिससे यात्रियों, रोगियों, शारीरिक रूप से विकलांग लोगों और वरिष्ठ नागरिकों को सड़कों पर भारी भीड़ के कारण नुकसान उठाना पड़ रहा है. राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को देश में चल रहे किसान विरोध के संबंध में इस तरह की कई शिकायतें मिली हैं. इसपर आयोग ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली की सरकारों को नोटिस जारी कर उनसे संबंधित कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आह्वान किया.
शिकायत में कहा गया है कि किसानों के आंदोलन के कारण लोगों को अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है, क्योंकि सीमाओं पर बैरिकेड्स लगा दिए जाते हैं.
आरोप है कि धरना स्थल पर प्रदर्शन कर रहे किसानों द्वारा कोरोना प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया जा रहा है. सड़कों की नाकाबंदी के कारण निवासियों को अपने घरों से बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी जा रही है. चूंकि आंदोलन में मानव अधिकारों का मुद्दा शामिल है, जबकि शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन करने के अधिकार का भी सम्मान किया जाना चाहिए. अब आयोग को विभिन्न मानव अधिकार मुद्दों पर ध्यान देने की आवश्यकता है. इसी को ध्यान में रखते हुए आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार, हरियाणा सरकार, राजस्थान सरकार, दिल्ली सरकार के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों को नोटिस जारी कर उनसे संबंधित कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कई प्राधिकरणों से सर्वेक्षण रिपोर्ट मांगी
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने विभिन्न राज्यों को नोटिस जारी करने के अलावा आर्थिक विकास संस्थान (आईईजी) से औद्योगिक और वाणिज्यिक गतिविधियों/उत्पादन पर किसानों के आंदोलन के प्रतिकूल प्रभाव और वाणिज्यिक और सामान्य उपभोक्ताओं पर असुविधा और अतिरिक्त व्यय आदि सहित परिवहन सेवाओं में व्यवधान की जांच करने और रिपोर्ट देने को कहा है. आयोग ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत सरकार को विभिन्न पहलुओं पर किसानों के आंदोलन के प्रतिकूल प्रभाव और विरोध स्थलों पर कोविड प्रोटोकॉल के पालन के संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है. इसके साथ ही आयोग ने दिल्ली स्कूल ऑफ सोशल वर्क, दिल्ली विश्वविद्यालय से अनुरोध किया है कि वे सर्वेक्षण कर किसानों द्वारा लंबे समय तक आंदोलन के कारण आजीविका, लोगों के जीवन, वृद्ध और कमजोर व्यक्तियों पर प्रभाव का आकलन कर रिपोर्ट करें.