न्यूज डेस्क :
बिहार में पंचायत चुनावों के तारीखों की घोषणा के बाद राजनीतिक दलों के साथ ही उम्मीदवारों की सरगर्मियां भी तेज हो गई है. इस पंचायत चुनाव में रोहतास के नोखा के हथिनी पंचायत सुर्खियों में है. इसका कारण है वहां की मुखिया प्रत्याशी उर्मिला देवी. हममें से अधिकांश 60 वर्ष के बाद शिथिल होने लगते हैं, महिलाएं तो बाहर जाना भी कम कर देती हैं, लेकिन हथिनी पंचायत में ‘दादी मुखिया’ के नाम से चर्चित 82 वर्षीय उर्मिला देवी फिर से चुनाव मैदान में उतरने को तैयार हैं. इस उम्र में भी वो शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं. उर्मिला देवी महिलाओं की टोली के साथ पैदल ही गांवो का दौरा करती हैं.
उर्मिला देवी 82 वर्ष की उम्र से पंचायत का नेतृत्व कर रही हैं. ग्रामीणों का कहना है कि लगभग 5 साल पूर्व में जब चुनाव लड़ रही थी, तो इनके जज्बे को देख कर लोगों ने इन्हें अपने पंचायत का मुखिया बना दिया. इस उम्र में जब महिला अपने पोते, नाती के साथ खेलने का समय होता है तो ये पंचायत के ग्रामीणों से साथ हर काम में आगे बढ़ कर नेतृत्व करती रही हैं. इन्होंने ओडीएफ में घर-घर घूम कर लोगों को शौचालय बनाने के लिए जागरूक किया.
कोरोना काल में अपने काम को लेकर मिसाल बनीं
कोरोना संक्रमण को लेकर जब सभी लोग अपने और परिवार का बचाव कर रहे थे, उस समय दादी मुखिया पंचायत की गली और नाली की सफाई खुद करवा रही थीं. क्वराइन सेंटर पर प्रवासी मजदूरों को रहने, खाने-पीने से लेकर सफाई तक खुद निगरानी करती रही थीं. ग्राम सभा में ग्रामीणों के सारी समस्या का समाधान वी करती हैं. कोरोना काल में सभी लाभुकों को राशन का वितरण भी कराया और सभी छूटे बीपीएल परिवार को राशनकार्ड का आवेदन जमा करा दिया. ग्रामीणों के लिए मास्क, सैनिटाइजर, साबुन, आदि उपलब्ध करवाया और इसके इस्तेमाल को प्रेरित किया.
82 वर्षीय महिला मुखिया उर्मिला देवी की इस उम्र में हौसले को देख कर सभी दाद देते हैं. दादी मुखिया ने बताया कि कोरोना काल में उनके पंचायत के सभी लोग बहुत सलीके से बैठते थे या लाइन में खड़े रहते थे. ग्रामीण लॉकडाउन का पूरा पालन कर रहे थे और आपस में मिलना जुलना भी छोड़ चुके थे. ये ग्रामीण लॉकडाउन के बाद कहीं भी बैठते हैं तो एक-दूसरे से कम से कम 3-4 फिट की दूरी बनाकर बैठते हैं. अब तो रोहतास के ग्रामीण इलाकों में लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग को जीवनचर्या का हिस्सा बना लिया है और यही वजह है कि वे कहीं होते हैं तब एक-दूसरे से दूरी बनाकर उठते-बैठते हैं.
अपने काम को लेकर उत्साहित दादी मुखिया फिर से चुनाव लड़ेंगी और लोगों की सेवा करेंगी. उनका कहना है कि जब तक जिंदा हैं लोगों के लिए काम करती रहेंगी.